लोहरदगा,झारखंड
दहक रहे हैं लोहरदगा के जंगल-पहाड़, वन्यजीव खतरे में
महुआ चुनने के लिए ग्रामीणों द्वारा लगायी गई आग का बढ़ता जा रहा है दायरा
लोहरदगा। जिले के जंगल जगह-जगह पर आग से दहक रहे हैं। भयावह नजारा दिखाई पड़ रहा है। महुआ चुनने के लिए पेड़ के नीचे की खर-पतवार साफ करने के मकसद से ग्रामीणों द्वारा लगायी गई आग हवा की वजह से तेजी से जंगल के पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं को निगलती जा रही है। थोड़े से महुआ के लिए ग्रामीणों द्वारा गैरजिम्मेदाराना और अमानवीय कार्य किया जा रहा है।
पेशरार और किस्को प्रखंड के जंगल-पहाड़ों का बड़ा दायरा रात के अंधेरे में दहकता नजर आता है। केकरांग में सीआरपीएफ के कैंप के पास पिछले कई दिनों से जंगल में आग लगी हुई है, जो सड़क किनारे से ही नजर आती है। मगर विभाग बेखबर है। प्रशासनिक तंत्र आंखें मूंदे है। वन सुरक्षा समितियां निष्क्रिय हैं। जागरूकता कार्यक्रमों के नाम पर खानापूर्ति करके वन विभाग ने अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली। जबकि आग को बुझाने, फैलने से रोकने का प्रयास होना चाहिए था। इस बार जंगल-पहाड़ों के जलस्रोतों में काफी कम पानी रह गया है। आग की वजह से स्थिति और भयावह हो रही है। बड़ी संख्या में वन्य जीवों के मारे जाने की आशंका है।
हालांकि किस्को के कसियाडीह ऊपर नारी डहरबाटी कोचा जंगल में लगी आग सुरक्षा समिति ने बुझाने का प्रयास किया है। इस सम्बंध में वन प्रमंडल अधिकारी अरविंद कुमार ने कहा है की आग लगने से रोकने और जंगल बचाने को लेकर पिछले साल की तरह इस बार भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
वन समिति ग्रामीणों के साथ लगातार बैठक आयोजित कर महुवा चुनने के लिए आग नहीं लगाने की अपील कर रही है। उन्होंने कहा की जागरूकता के माध्यम से आग लगाने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा उन्होंने कहा की आग बुझाने के लिए सभी वनरक्षी को मशीन भी उपलब्ध करा दिया गया है।