साहित्यिक संस्था ” हुलास ” ने मनाया “सावन मनभावन”कार्यक्रम
मंचीय कवियों की साहित्यिक संस्था ‘हुलास’ ने तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में श्रावणी काव्य संध्या ‘सावन मनभावन’ का आयोजन किया, जिसमें नगर के कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने सावन पर गीत, गजल, कवितायेँ प्रस्तुत करके प्रयाग कक्ष को सवान की फुहारों से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में नगर की प्रतिष्ठित साहित्यकार श्रीमती गीता मुद्लियार ‘नूर’ तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में तुलसी भवन के मानद सचिव श्री प्रसेनजीत तिवारी उपस्थित हुए ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हुलास के अध्यक्ष और वरिष्ठ कवि श्री श्यामल सुमन ने किया। अपने स्वागत संबोधन में हुलास की उपाध्यक्ष विजय नारायण बरूका ने सावन मनभावन पर अपनी काव्यांजलि तथा उद्गार प्रगट किये और अतिथियों का अभिनन्दन किया. कार्यक्रम में ‘हुलास’ के अतरिक्त अन्य ‘साहित्यिक संस्थाओं’ के रचनाकारों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत करके सावन को मनभावन बना दिया । “सावन मनभावन” की कुछ शानदार झलकियाँ प्रस्तुत हैं :
पूनम शर्मा ने ” सावनी ऋतु ये देखो आई है ” पंक्तियों से खूब सराहना बटोरी ।
जय प्रकाश पाण्डेय ने ” रोज हम कितने सच भुलाते हैं , तब कहीं एक दिन जी पाते हैं” पंक्तियों से सावन को मनभावन बना दिया ।
अजय मुस्कान ने पढ़ा : न जाने किसकी आवाज हो रहा हूँ। इश्क मोहब्बत सा रिवाज हो रहा हूँ।
बोलता हँ झूठ हर रोज़ सौ दफा ।
आहिस्ता आहिस्ता तबाह हो रहा हँ ।।
अध्यक्ष श्यामल सुमन की रचना : झूल रहे हैं झूले कितने । है प्रीतम को भूलें कितने ।।
सुख दुख का अभिवादन ।
ऐसे आया सावन ।।
सबको सावन की छटा से भिगो दिया
विजय बेरूका जी ने पढ़ा : झूला झूल रहे मधुवन में माधव मदन मुरारी ना ।
शिप्रा सैनी ने पढ़ा : सघन घटा है , तपन विरल ।
कृष्णा आजमगढ़ी की रचना ” मुझसे मिलने कभी , यूँ भी आना प्रिये ।
चाँद तारे घटाएं उतर आएंगी।
हवाएं आएंगी फूलों के लेके पराग ।
तेरी राहों में कलियां , बिखर जायेंगी।।
धन्यवाद ज्ञापन जय प्रकाश पाण्डेय ने प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम में श्री अजय मुस्कान, दीपक वर्मा “दीप”, जय प्रकाश पाण्डेय , पूनम शर्मा “स्नेहिल” , शिप्रा सैनी , विजय नारायण “बेरूका ” , माधवी उपाध्याय, वीना पाण्डेय, वरूण प्रभात आदि उपस्थित हुए.