आंकड़े बताते हैं कि बन्ना में है दम
देवानंद सिंह
स्वास्थ्य मंत्रालय के वर्ष 2020-21 ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) -5 के झारखंड को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वह झारखंड के लिए किसी बड़ी सफलता से कम नहीं है। सर्वे रिपोर्ट दर्शाती है कि राज्य स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार सफलता के ऊंचे पायदान को छू रहा है। यह राज्य ही नहीं, पूरे देश के लिए गर्व की बात है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने में भी झारखंड सबसे बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन करने वाले राज्यों में शुमार रहा था और इसी दौरान सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जिस तरह स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के कुशल नेतृत्व में झारखंड स्वास्थ्य के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, उसकी जितनी सराहना की जाए, वह भी कम है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में जिन क्षेत्रों को शामिल किया गया है, उनमें कई स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत सरकार द्वारा किए गए कार्यों को शामिल किया गया है। इनमें जैसे महिला स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य, संस्थागत प्रसव, नियमित टीकाकरण, नॉन कम्युनिकेबल डिजीज और परिवार नियोजन आदि शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य के ज्यादातर क्षेत्रों में झारखंड ने अविश्वसनीय आंकड़े हासिल किए हैं। पिछले पांच साल में राज्य में न केवल संस्थागत प्रसव की स्थिति सुधरी है बल्कि बच्चों के टीकाकरण और परिवार नियोजन को लेकर भी लोग काफी जागरूक हुए हैं। राज्य की महिलाओं ने प्रसव के लिए राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों को चुना है। इस वजह से संस्थागत प्रसव में 14 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। राज्य में बच्चों के नियमित टीकाकरण की स्थिति में सुधार हुआ है। परिवार नियोजन के मामले में भी राज्य की स्थिति बेहतर हुई है। एनएफएचएस-4 के मुकाबले एनएफएचएस-5 में इसमें 21.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इन आंकड़ों को देखने के बाद सरकार के प्रयासों पर किसी भी प्रकार के शक की गुंजाइश नहीं बचती है। ये तभी संभव हो पाया है, जब स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार बेहतरीन कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सभी गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांच के साथ साथ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में 1400 और शहरी क्षेत्र में 1000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं, जननी सुरक्षा के तहत निशुल्क दवा, भोजन, ब्लड और निशुल्क परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। राज्य में गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में भी सुविधा है, जिसमें पिछले कुछ सालों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2015-16 में प्रसव पूर्व जांच का आंकड़ा 30 प्रतिशत था, जो 2020-21 में बढ़कर 38.6 हो गया है। वहीं, राज्य में महिला पुरुष लिंग अनुपात भी अच्छा है। शहर में 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 989 है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है। पुरुषों की संख्या 1000 के मुकाबले महिलाओं की संख्या 1070 है। संस्थागत प्रसव की दर में 14 प्रतिशत व हेल्थ वर्कर की देखरेख में घर की प्रसव दर 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। परिवार नियोजन की दर में 41.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अगर, शैक्षणिक
दर की बात करें तो महिलाओं का औसत 61.7 व पुरुषों का औसत 81.3 प्रतिशत है। वहीं, 10 साल से ऊपर आयुवर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों में लड़कियों का औसत 33.2 व लड़कों का औसत 46.06 प्रतिशत है। वहीं, इंटरनेट का प्रयोग करने वालों में पुरुषों का औसत 58 प्रतिशत व महिलाओं का औसत 31.4 प्रतिशत है। यानि हर मामले में झारखंड राज्य अव्वल पायदान की तरफ बढ़ रह रहा है। यह सब संभव हो पाया है, सरकार के अथक प्रयास की वजह से। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जिस तरह के प्रयास किए वह कबीलेतारिफ है। यह उनका ही कुशल नेतृत्व था कि बेहतर कोरोना मैनेजमेंट कर पूरे देश में तीसरा पायदान हासिल किया। एक तरफ, कुछ राजनीतिक चौचलेबाज मंत्री बन्ना गुप्ता का विरोध कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जिस तरह अपने काम से खुद को साबित किया है, वह एक बेहतर सोच और मेहनत का नतीजा है।