Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » वादाखिलाफी के कारण हेमंत सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश, धूल झोंकने के लिए हर रोज नयी घोषणा: रघुवर दास
    Breaking News Headlines जमशेदपुर जामताड़ा झारखंड रांची राजनीति राष्ट्रीय

    वादाखिलाफी के कारण हेमंत सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश, धूल झोंकने के लिए हर रोज नयी घोषणा: रघुवर दास

    News DeskBy News DeskSeptember 23, 2022No Comments5 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    वादाखिलाफी के कारण हेमंत सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश, धूल झोंकने के लिए हर रोज नयी घोषणा: रघुवर दास

    पांच लाख नौकरियों के वादे के साथ सत्ता में आयी हेमंत सरकार की वादाखिलाफी के कारण झारखंड के युवाओं में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। साथ ही परिवार और अपने नजदीकी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए हेमंत सरकार के संरक्षण में पिछले ढाई वर्ष में झारखंड के जल-जंगल और जमीन और खनिज संपदा की जमकर लूट हुई है। इसका उदहारण साहेबगंज जैसा एक पिछड़ा जिला है। इस एक जिले से ही ईडी की जांच में लगभग 1400-1500 करोड़ रुपये के अवैध उत्खनन की बात सामने आयी है। इस उत्खनन में मुख्यमंत्री जी के विधायक प्रतिनिधि का नाम सबसे आगे है। हेमंत सरकार के इन कारनामों के कारण झारखंड को लोग सरकार से काफी नाराज हैं। इसी नाराजगी और आक्रोश को दबाने और लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए हेमंत सोरेन जी हर रोज नयी-नयी लोक लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने 1932 के खतियान और आरक्षण नीति को घोषणा भी की है।

    15.11.2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ। राज्य गठन के बाद उस समय सरकार ने अधिसूचना संख्या 3389, दिनांक 29.09.2001 द्वारा एकीकृत बिहार के परिपत्र संख्या 806, दिनांक 03.03.1982 को अंगीकृत किया गया, जिसमें जिला के आधार पर स्थानीय व्यक्ति की पहचान उनके नाम, जमीन, वासगीत, रिकार्ड ऑफ राइट्स के आधार पर की गयी थी। इसी संदर्भ में माननीय झारखंड उच्च न्यायालय ने दो वाद यथा डब्ल्यूपी (पीआईएल) 4050/02 एवं वाद संख्या डब्ल्यूपी पीआइएल 2019/02 के मामले में 27.11.2002 को पारित अपने विस्तृत आदेश के जरिए स्थानीयता को परिभाषित किए जाने संबंधी संकल्प को गलत बताया था और स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए थे। उक्त आदेश के आलोक में अनेक सरकारें आईं, कमेटियां बनाई गई, लेकिन स्थानीय व्यक्ति को परिभाषित करने और उसकी पहचान के मापदंड को निर्धारित करने का मामला विचाराधीन था।

    जब हमारी भाजपा की सरकार आई तब हमने दिनांक 07.04.2015 को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ सर्वदलीय बैठक आहूत की, सामाजिक संगठनों से परामर्श लिया तथा झारखंड के बुद्धिजीवियों के साथ विचार विमर्श किया। माननीय झारखंड उच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए सुझाव को ध्यान में रखते हुए 7.4.2016 को स्थानीयता को परिभाषित करते हुए, उस नीति को नियोजन की नीति से जोड़कर भारी संख्या में झारखंड के बच्चे बच्चियों को नियुक्ति दी गई। हमारी सरकार ने स्थानीय निवासियों की परिभाषा को इस तरह से परिभाषित किया था कि किसी भी वर्ग को किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।

    वर्तमान सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधी निर्णय लिया है और इनको भी पता है कि इसे लागू करना न्यायालय की अवमानना होगी। इसलिए इनके द्वारा इस नीति को लागू नहीं किया जाएगा, ऐसी योजना बनाई गई है। स्वयं मुख्यमंत्री जी 23 मार्च 2022 को इसकी वैधानिकता के बारे में राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में घोषणा कर चुके हैं।
    इनके द्वारा यह कहा गया है कि 1932 वाली स्थानीयता की नीति को संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित होने के उपरांत लागू किया जाएगा, जो कभी भी संभव नहीं हो पाएगा।

    स्थानीयता का मामला हो या आरक्षण का मामला, यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है। साथ ही इस नीति को नियोजन से भी नहीं जोड़ा गया है। अतः स्पष्ट है कि सरकारी नियुक्तियों में भी वर्तमान में झारखंडवासियों को 1932 अथवा स्थानीयता का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। पांच लाख नौकरी देने के वादे को पूरा नहीं करने के कारण सरकार के प्रति युवक-युवतियों में रोष है। इसलिए यह स्थानीय नीति उलझाने, लटकाने और भटकाने की नियत से घोषित की गयी है।
    आरक्षण नीति
    जहां तक आरक्षण में बढ़ोतरी का निर्णय है, यह निर्णय भी असंवैधानिक है।

    इसे लागू करना असंभव सा प्रतीत होता है। इस तरह यहां के आदिवासी, मूलवासी और पिछड़ों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्हें धोखा दिया गया है। किसी को भी आरक्षण देने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार उस श्रेणी के छात्रों की संख्या और उनके प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसी क्रम में भाजपा सरकार के समय 2019 में राज्य के सभी जिलों के उपायुक्तों को सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिससे पता चलता है कि यह रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हुई है। अगर सरकार ने वह रिपोर्ट तैयार नहीं की है, तो आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने में कौन-कौन से कारक को ध्यान में रखा गया है,

    यह भी सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। सरकार द्वारा किसी सर्वेक्षण की रिपोर्ट को ध्यान में नहीं रखा गया है और ना ही आरक्षण को सही तरीके से देने के लिए जिस प्रक्रिया की आवश्यकता है, उसका पालन किया गया है।
    जिस तरह से वर्तमान सरकार अपने पद का दुरुपयोग कर खनन व्यापार में लिप्त है, उसी तरह आरक्षण को भी सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए व्यापारिक रूप देकर झारखंडवासियों को धोखा दे रही है। मुख्यमंत्री जी यह राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र है। निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण किये बिना इस तरह का फैसला लेना प्रजातंत्र में नहीं होता है।

    विगत ढाई वर्षों में झामुमो-कांग्रेस की सरकार ने कोयला, बालू, गिट्टी की लूट, शराब के व्यापार में और ट्रांसफर-पोस्टिंग में हजारों करोड़ रुपए की उगाही की है। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने अपने व अपने परिवार वालों के नाम पर माइनिंग लीज भी ली, जिसका परिणाम है कि मुख्यमंत्री, उनके परिवारवाले तथा सहयोगी केंद्रीय एजेंसियों की रडार पर हैं।

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleदुर्गापूजा के मद्देनजर जिला उपायुक्त ने मानगो नगर निगम कार्यालय में की समीक्षा बैठक
    Next Article टैक्स कलेक्शन पर जोर दें, अवैध होर्डिंग को चिन्हित कर करें कार्रवाई: उपायुक्त

    Related Posts

    बिहार के दरभंगा में राहुल गांधी के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी गई: कांग्रेस

    May 14, 2025

    ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ अब भी जारी है, विपक्ष को ‘अवांछित’ सवाल नहीं उठाने चाहिए : भाजपा

    May 14, 2025

    छत्तीसगढ़ में 21 दिन चले नक्सल विरोधी अभियान में 31 नक्सली मारे गए, 18 जवान भी घायल

    May 14, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    बिहार के दरभंगा में राहुल गांधी के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी गई: कांग्रेस

    ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ अब भी जारी है, विपक्ष को ‘अवांछित’ सवाल नहीं उठाने चाहिए : भाजपा

    छत्तीसगढ़ में 21 दिन चले नक्सल विरोधी अभियान में 31 नक्सली मारे गए, 18 जवान भी घायल

    बैकुंठ शुक्ल की पुण्यतिथि पर नमन परिवार ने दीं श्रद्धांजलि

    ऑपरेशन सिंदूर की गौरवगाथा और भारतीय सेना के पराक्रम को समर्पित विशाल तिरंगा यात्रा की सभी तैयारियां हुई पूरी

    चौकीदार नियुक्ति हेतु शारीरिक माप (दौड़) परीक्षा के प्रथम दिन फतेहपुर, कुंडहित एवं नाला के सफल अभ्यर्थी शारीरिक परीक्षण में हुए सम्मिलित,कुल 584 अभ्यर्थियों में से 31 रहे अनुपस्थित

    आनंद मार्ग एवं पूर्णिमा नेत्रालय का मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए जांच शिविर 15 मई को गदरा में

    जमशेदपुर पुलिस को धन्यवाद : ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर

    भारत के 52 वे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर गवई को राजेश शुक्ल ने बधाई दी

    शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बालिगुमा, झारखंड राज्य का पहला अर्बन– पीएचसी जिसे मिला NQAS सर्टिफिकेट

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.