कमलेश सिंह ने बालू की कालाबाजारी में सरकार को बताया संलिप्त, कहा- चुनाव में झामुमो, कांग्रेस को मिलेगा सबक
Ranchi: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक कमलेश सिंह ने राज्य में बालू की कालाबाजारी का मसला उठाया है. प्रेस क्लब, रांची में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक ओर पलामू में सुखाड़ की मार है. ऊपर से बालू की किल्लत ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है. सुखाड़ के बाद किसान मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन अब बालू की समस्या ने पलामू सहित अन्य जगहों पर विकराल रूप ले लिया है. तमाम निर्माण कार्य ठप पड़ गए हैं. कहीं बालू मिल भी रहा है तो वह चार से पांच हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर. पलामू में बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से अवैध बालू ढुलाई का धंधा जोर शोर से जारी है. हर दिन सैकड़ो ट्रैक्टर नदी से निकाल कर बेचा जा रहा है. इस खेल में स्थानीय प्रशासन से लेकर जिले के बड़े अधिकारी तक शामिल हैं. कहें कि सरकार भी बालू की कालाबाजारी में संलिप्त है. पर अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. अब बालू के मुद्दे को लेकर एनसीपी आर-पार की लड़ाई लड़ेगी. अगर जल्द बालू घाट की नीलामी नहीं हुई तो पार्टी राज्य में बड़ा आंदोलन करेगी. सरकार तैयार रहे.
दो सालों से बालू का संकट जारी
कमलेश कुमार सिंह के मुताबिक बालू को लेकर लगातार दो वर्षों से राज्य में भवन निर्माण व विकास कार्य प्रभावित हैं. लगातार ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद सरकार मूक दर्शक बनी है. झारखंड के बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं करने के पीछे बड़ा खेल चल रहा है. बालू घाटों की बंदोबस्ती होने से सरकार को राजस्व भी मिलता और आम लोगों को बालू आसानी से सस्ते दर पर मिलता. पर सरकार के मुखिया बालू की कालाबाजारी करा कर अपनी जेब भरने में लगे हैं. भवन निर्माण, सड़क, पीएम आवास समेत सभी विकास के कार्य ठप्प हैं. या फिर ऐसी स्थिति है कि कालाबाजारी कर इसे ऊंचे दाम पर किया जा रहा है. पीएम आवास के लाभुकों को बालू नहीं मिल रहा है. वह लाचार हैं. निर्माण नहीं करने की स्थिति में अधिकारी एफआईआर दर्ज करने की धमकी दे रहे हैं.
कमलेश सिंह के अनुसार इस मामले को उन्होंने विधान सभा में 3 मार्च 2020, 02 मार्च 2021 व 2 अगस्त 2022 को उठाया. इसके अलावा सीएम को भी पत्र लिख कर समाधान कराने का आग्रह किया था. सुनवाई नहीं होने की स्थिति में हुसैनाबाद में विशाल आंदोलन किसानों, ट्रैक्टर मालिकों व आम लोगों ने किया था. पर अब याचना नहीं रण होगा.
पलामू प्रमंडल में सर्वे चैलेंज के बारे में कहा कि यहां बिना सोचे समझे नए सर्वे को लागू कर दिया गया, नए सर्वे में बड़े पैमाने पर त्रुटि की वजह आए दिन मार पीट, खून खराबा होता है. इस संबंध में विधानसभा में 19 मार्च 2021, 8 अक्तूबर 2021 के अलावा अनेक बार उठाने का काम किया. सरकार मानती है कि सर्वे में त्रुटि की वजह से परेशानी हो रही है. मगर हमेशा कर्मचारियों की कमी का रोना रोती है. ऑनलाइन सर्वे में गलत इंट्री की वजह से पलामू के आधे लोग अंचल, थाना और कोर्ट का चक्कर लगाते हैं.
और भी हैं चैलेंज
कमलेश सिंह ने कहा कि बालू, सर्वे के अलावा भी कई समस्याएं हैं. राज्य में बेरोजगारी से युवा त्रस्त है. सिंचाई के अभाव में फसलें सुख रही हैं. पलामू समेत सम्पूर्ण राज्य में अकाल की स्थिति है, गरीबों को राशन कार्ड पर मिलने वाला अनाज कहां जाता है, किसी को पता नहीं. हर तीन माह के बाद एक माह अनाज की आपूर्ति नहीं होती है. पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका समेत अनुबंध कर्मियों की समस्या का समाधान करने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. राज्य के प्रखंडों अंचलों में अधिकारी नहीं हैं. जनता कार्यालयों का चक्कर काट रही है. अगर सुधार नहीं हुआ तो जनता जेएमएम कांग्रेस को चुनाव में सबक सिखाने का मन बना चुकी है.