जमशेदपुर, अपना माटी में अपना भाषा अपना संस्कृति को बचाने के संकल्प के साथ बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच द्वारा 7 जनवरी को आयोजित डिमना से साकची आमबागान तक आयोजित डहरे टुसु के लिए पटमदा बोड़ाम चांडिल नीमडीह जमशेदपुर प्रखंड के कई जगहों में चौड़ल का निर्माण कार्य जोरो पर है. इसके लिए पारम्परिक चौड़ल कलाकार अपने परिवार के साथ लगे है.
टुसु में मूर्ति का कोई स्थान नहीं है. टुसु परब का मूल में धान है. जिसे हमलोग डिनि भी कहते है. उसी को चौड़ल में अंदर रखा जाता है. लेकिन कालांतर में अपसंस्कृति के कारण चौड़ल के साथ साथ मूर्ति आ गया. और इसका चलन बृहद झारखंड में सिर्फ हमलोगों के क्षेत्र में ही देखने को मिलता है. संस्कृति में व्याप्त अपसंस्कृति को समाप्त करने का प्रयाय ही डहरे टुसु जैसा कार्यक्रम किया जा रहा. साथ ही अपील करते है कि जहाँ भी मेला लगे मूर्ति पर प्रतिबन्ध लगाया जाए. यदि अभी इतना नहीं कर सकते है तो कमसे कम मूर्ति पर पुरस्कार न दिया जाए. हमलोगों को अपना माटी पर अपना संस्कृति को अपना पहचान को फिर से स्थापित करना है.
पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला जिला में लगभग 10 हजार से ज्यादा चौड़ल बन रहा है. कोल्हान क्षेत्र में डहरे टुसु में लगभग 2 लाख से ज्यादा लोगों का भागीदारी होगा. सभी से पारम्परिक ड्रेस में आने का आह्वान किया गया है.
डहरे टुसु में 1000 महिला पुरुष महिला वॉलिंटियर तैनात रहेगा.
चौड़ल कहाँ कहाँ बन रहा है
कुर्ली —तपन महतो,परिक्षीत महतो
घोड़ानेगी —आमीन महतो, सुभाष महतो, कमलेश महतो
घुटियाडीह —दीपक महतो, भूपेन महतो
पारगामा —प्रभात महतो
जाल्ला – गणेश महतो, प्रहलाद गुलियार, संतोष महतो
बोड़ाम – भरत सिंह, बंकिम महतो हितुलाल महतो