निजाम खान की खास रिपोर्ट
जामताड़ा: राष्ट्र संवाद वैसे तो सभी विभागों का सम्मान करते आ रहा है और आगे भी करता रहेगा|लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी विभाग में अगर लापरवाही बरती जाएगी ,अनियमितता बरती जाएगी तो इसका खुलासा नहीं करेगा |ऐसा राष्ट्र संवाद कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता है |जिस विभाग में जो भी लापरवाही व अनियमितता पाई जाएगी उसको पाठकों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है|मैं बात जामताड़ा जिला अंतर्गत कुंडहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कर रहा हूं|जहां इस समय बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती जा रही है |आप सोच रहे होंगे कि आखिर कुंडहित सीएचसी की कौन- सी लापरवाही है? तो मैं आपको बता देना चाहता हूं कुंडहित सीएचसी में मरीजों को बंध्याकरण के बाद ऑपरेशन थिएटर से वार्ड तक ले जाने में स्ट्रेचर तक नसीब नहीं होता है |मरीजों को परिजन
ऑपरेशन थिएटर से गोद में उठा कर वार्ड तक ले जाते हैं जो कि विभाग की काफी लापरवाही कहा जा सकता है |ऐसे में लगता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए ,क्योंकि ऑपरेशन के बाद अगर भूलवश मरीज को हाथ से उठाकर ले जाने में कहीं अगर किसी तरह की दुर्घटनाएं घट जाए तो इसके जिम्मेदार कौन होंगे ? न जाने कौन- कौन -सी अप्रिय दुर्घटनाएं घट सकती है|लेकिन स्वास्थ्य विभाग का इससे कोई लेना-देना नहीं है|किसी की जान जाए ,कोई मरे, कोई रहे इससे स्वास्थ्य विभाग का कोई लेना देना नहीं है | तभी तो कुंडहित प्रखंड क्षेत्र के लोग झारखंड के स्वास्थ्य विभाग पर भरोसा नहीं करते हैं |सब पश्चिम बंगाल पर निर्भर रहते हैं| छोटी- मोटी बीमारी का भी इलाज कराने के लिए लोग पश्चिम बंगाल ही जाते हैं |ऐसे में यहां सब नतीजा स्थानीय अस्पताल प्रबंधन व पदाधिकारियों की लापरवाही की वजह से हैं |सरकारी सुविधाएं राज्य व केंद्र से आते-आते निचले स्तर तक में अपनी दम तोड़ जाती है|
एक तरफ से कहा जा सकता है कि ऐसे पदाधिकारी एक तरफ से राज्य व केंद्र दोनों सरकार को बदनाम करने में तुली हुई है| ऐसे में भ्रष्ट अधिकारी व भ्रष्ट प्रबंधन पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता व राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन को मामले को संज्ञान में लेते हुए जिले के वरीय पदाधिकारी द्वारा उचित से उचित कार्रवाई कराने की आवश्यकता है|आपको बता दे यही नहीं कुंडहित सीएचसी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों भी पल्ला झाड़ने के लिए अनाप-शनाप अपने पक्ष रख रहे हैं| कोई कह रहे हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो स्ट्रेचर है तो कोई कह रहे है कि दोनों स्ट्रेचर इस समय खराब है | जिसकी मरम्मत ही कराई जा रही है| आखिर किसकी बात माना जाए? जब खुद कुंडहित सीएचसी बीमार है तो मरीजों का कैसे करेगा इलाज?ऐसे में खुद ही समझा जा सकता है कि विभाग में क्या चल रहा है? मामला जांच का विषय बनता दिखाई दे रहा है |आपको बता दें कुंडहित सीएचसी के अकाउंटेंट मनोज प्रजापति ने कहा की कुंडहित सीएचसी में दो स्ट्रेचर है जबकि सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी उजाला मुर्मू ने कहा कि दोनों स्ट्रेचर खराब है जिसकी मरम्मत कराई जा रही है| क्या आपको नहीं लगता ऑपरेशन के पहले यह सब विभाग को ठीक करा लेना चाहिए |लेकिन किसी की जान जाए इससे कुंडहित सीएससी के अधिकारियों को क्या लेना देना |आपको बता दें कुंडहित सीएचसी में लोग दवाई भी नहीं लेने जाते हैं| अगर सीएचसी में दवाई लेते तो फिर लोग छोटी -मोटी बीमारी का निजी दुकानों में क्यों दवाई लेने के लिए जाते हैं ? कुल मिलाकर कहा जाए तो यह सब मामला जांच का विषय बनता दिखाई दे रहा है |विभाग के आला अधिकारियों को मामले की जांच कर संबंधित दोषियों पर उचित से उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है |ताकि दोबारा ऐसी हरकतें कुंडहित सीएचसी के अधिकारी व कर्मचारी करने से बाज आएं |अब देखना यह है कि क्या विभाग के आला अधिकारी मामले को संज्ञान में लेते हुए दोषी पर उचित कार्रवाई करते हैं कि नहीं ? कुंडहित सीएचसी में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को देखते हुए कुंडहित जिला परिषद सदस्य भजहरि मंडल कहा कि मरीजों के साथ इस तरह कि व्यवहार अमानवीय है | यह घटना काफी निंदनीय है |जितनी भी निंदा की जाए काफी कम साबित होगी |इसलिए कुंडहित प्रखंड छेत्र के मरीज यहां के सीएचसी के डॉकटरों व अस्पताल प्रबंधन पर भरोसा नहीं करते हैं|लोग पश्चिम बंगाल की ओर रूख करते हैं| पश्चिम बंगाल के अस्पतालों में मरीजों को सामान्य बीमारी में स्ट्रेचर से ही ले जाया जाता है|जहां तक दवाई की बात है ऐसे में एक बार जिला के उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज ने एक्सपायर दवाई रखने में अस्पताल प्रबंधन को फटकार भी लगा चुके है| मामले को जांच कर दोषि पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाना चाहिए|
क्या कहते हैं जिले के सिविल सर्जन
बंध्याकरण में मरीजों को ऑपरेशन थिएटर से वार्ड तक लेने जाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा स्ट्रेचर से ही ले जाना चाहिए| मरीज के परिजन भी सहयोग कर सकते हैं |लेकिन स्ट्रेचर से ही ले जाना चाहिए|
डॉ.एस के मिश्रा ,सिविल सर्जन , जामताड़ा