टाटा कंपनी को बचाने के लिए अपनी जुबली डायमंड गिरवी रखने वाली लेडी मेहरबाई टाटा पर कवि गुरुचरण महतो ने लिखा कविता *मेहरबाई की मेहरबानी*
जमशेदपुर: शहर के बारीडीह निवासी युवा कवि व टाटा स्टील के स्थाई कर्मी गुरुचरण महतो ने शहर में हालिया बने स्टील की विशाल डायमंडनुमा आकृति व इसके पीछे की कहानी को बयां करती छोटी कविता “मेहरबाई की मेहरबानी” लिखा है।उन्होंने कहा कि शहर के संस्थापक जेएन टाटा के सपनों को पूरा करने और शहर के विस्तारीकरण के लिए उसके पुत्र दोराबजी टाटा ने कोई कसर नहीं छोड़ा था।प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1924 में कंपनी को आर्थिक संकट से बचाने और मजदूरों को वेतन देने के लिए पैसा नहीं होने पर,दोराबजी की पत्नी मेहरबाई ने अपने सबसे प्रिय जुबली डायमंड को भी गिरवी पर रख दी थी।अगर उस समय मेहरबाई मेहरबानी नहीं दिखाई होती तो शायद आज टाटा कंपनी नहीं होता और हमारा स्टील सिटी जमशेदपुर शहर भी नहीं होता। शहर के बीचों-बीच निर्मित सर दोराबजी टाटा पार्क में स्थित समर्पण भाव की इस नवनिर्मित नायाब प्रतीक को सही मायने में आज सम्मान मिला है।कवि गुरुचरण महतो ने विश्वास जताया है कि यह पार्क और हीरेनुमा ढांचा बहुत जल्द एक लैंडमार्क बनकर उभरेगी और मनोरंजन के साथ बाहरी लोगों को टाटा घराने से संबंधित कहानियां भी बयां करेगी।