आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के काले कारनामों से पर्दा उठना जरूरी
देवानंद सिंह
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर महिला डाक्टर के साथ जिस तरह की दरिंदगी हुई, उसने मानवता को तो शर्मशार किया ही, बल्कि ममता सरकार और अस्पताल की कलई भी खोलने का काम किया है, मामले की जांच में जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं, वाकई वह चौंकाने वाले हैं। हैरान करने वाली बात है कि यह पहली बार नहीं है, जब बंगाल सरकार द्वारा संचालित इस अस्पताल में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हुई है, बल्कि इसकी एक लंबी फेहरिस्त है। कभी मेडिकल छात्रों, कभी प्रोफेसरों तो कभी हाउस स्टाफ की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो चुकी है, जिनका रहस्य आज तक किसी न किसी वजह से छुपा हुआ है। निश्चित ही, यह तभी हो सकता है, जब उसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत हो। अस्पताल की आड़ में देह व्यापार चलने के साथ ही वहां मादक पदार्थों की तस्करी होने का भी लगना ममता सरकार पर कई सवाल खड़े करता है।
जिस तरह मृतक डॉक्टर द्वारा अस्पताल के काले कारनामों के बारे में डेली डायरी लिखे जाने की बात सामने आ रही है, उससे भी अस्पताल के कई राजों से पर्दा हटेगा। डायरी फिलहाल सीबीआइ के कब्जे में है, जो वारदात स्थल से बरामद हुई थी। डायरी के कुछ पन्ने फाड़े जाने की भी बात सामने आई है। मृतक डॉक्टर के पिता ने जिस तरह दावा किया है कि अस्पताल में उनकी बेटी पर बहुत दबाव था। वह काम ठीक से नहीं कर पाती थी, इससे साफ जाहिर होता है कि उसकी हत्या के पीछे बहुत बड़ी वजह थी, जिस पर ममता सरकार पर्दा डालना चाहती थी, लेकिन सीबीआई जांच से ये सारे सच सामने आ सकते हैं।
पिछली घटनाओं को बात करें तो 25 अगस्त, 2001 को सौमित्र बिश्वास नाम के चौथे साल के मेडिकल छात्र की मौत का मामला भी काफी चर्चा में रहा था, जिसे इसी मेडिकल कालेज के छात्रावास के कमरे में फंदे से लटका पाया गया था। उस घटना को भी पहले अस्पताल के अधिकारियों ने आत्महत्या करार दिया था, लेकिन जब विरोध बढ़ा तो पता चला कि छात्रावास में अश्लील रैकेट चल रहा था, जिसे कमरों में फिल्माया जाता था।
शवों के साथ सेक्स करने जैसी घिनौनी हरकत भी शामिल थी। ट्रेनी डॉक्टर की तरह ही सौमित्र भी इन काली गतिविधियों का पर्दाफाश करना चाहता था, इसलिए उसे मार डाला गया। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की सीआईडी जांच का आदेश दिया था। इस मामले में अरोमिता दास और अमित बाला नामक मृतक के दो सहपाठियों को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन यह मामला आज तक अनसुलझा है।
इसी तरह, 5 फरवरी, 2003 को अस्पताल के हाउस स्टाफ अरिजीत दत्ता द्वारा आत्महत्या किए जाने का मामला सामने आया था। इस घटना को लेकर पुलिस ने दावा किया था कि अरिजीत ने पहले अपने हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया, फिर ब्लेड से कलाई की नस काट ली और उसके बाद छात्रावास की छत से कूद गया, लेकिन हैरान करने वाली बात है कि सौमित्र बिश्वास की तरह ही 24 वर्षीय अरिजीत की मौत का मामला भी अभी भी रहस्य बना हुआ है। इस घटना के कुछ ही दिन बाद चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र प्रवीण गुप्ता ने 16 फरवरी को आत्महत्या का प्रयास किया। मूल रूप से हरियाणा का रहने वाला प्रवीण कोलकाता के मानिकतल्ला इलाके में स्थित लाल मोहन हास्टल में रह रहा था। देर रात उसने अपने दोनों कलाई की नसें काटकर आत्महत्या की कोशिश की। पुलिस ने कहा कि उसने अपनी प्रेमिका को सुसाइड नोट लिखा था। प्रेम में असफलता ने उसे अवसादग्रस्त कर दिया था, इसलिए उसने यह कदम उठाया,
जबकि प्रवीण के सहपाठियों और रूम मेट्स के अनुसार वह अवसाद से पीडि़त नहीं था। प्रवीण के पिता ने बताया कि उनका बेटा किसी बात को लेकर परेशान था, हालांकि उन्होंने इसे सार्वजनिक नहीं किया। यह घटना भी लोगों की याददाश्त से मिट गई है। इसी कड़ी में, 24 अक्टूबर, 2016 को अस्पताल में मेडिसीन के प्रोफेसर 52 वर्षीय गौतम पाल का सड़ा-गला शव दक्षिण दमदम स्थित उनके किराए के घर से बरामद हुआ था। पुलिस को इस मामले में भी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था। पुलिस ने अनुमान लगाया कि अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई होगी, हालांकि मौत के सही कारण की पुष्टि नहीं कर सकी, चूंकि दरवाजा अंदर से बंद था, इसलिए पुलिस ने साजिश से इन्कार किया। घटनाएं यहीं नहीं रुकीं, 2020 में जिस समय कोरोना महामारी चल रही थी, उस वक्त स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की महिला डाक्टर पौलमी साहा की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पुलिस ने बताया कि पौलमी ने अस्पताल की छठी मंजिल से कूदकर आत्महत्या की है। दोस्तों और सहकर्मियों ने कहा कि शायद अवसाद ने उसे घेर लिया था, हालांकि इस मामले में भी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। पौलमी की मौत को लेकर कई सवाल उठे, जिनका जवाब आज तक नहीं मिला है।
घटना बंगाल में घटी है पूरे देश के डॉक्टर आंदोलन पर हैं जमशेदपुर भी इससे अछूता नहीं है सैकड़ो मेरीज परेशानियों का सामना कर रहे हैं
ऐसा लगता है कि ये सारी घटनाएं ऐसे ही नहीं घटी, बल्कि इन सबके पीछे बहुत बड़ी साजिश रही होगी, पर हैरानी इस बात की है कि किसी मामले का ठीक से खुलासा नहीं हो पाया, उम्मीद की जाने चाहिए कि ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में जांच जिस दिशा में आगे बढ़ रही है, उससे निश्चित इस अस्पताल के सारे कारनामों को कलई खुल जाएगी, जिसके बाद दोषियों को सजा मिलेगी, सुरक्षा मानकों में सुधार होगा और समाज में जागरूकता बढ़ेगी। निश्चित ही इन घटनाओं को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए कि अपराध को किसी भी क्षेत्र में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाना बहुत आवश्यक है।
*किसी के जख्म पर चाहत से पट्टी कौन बंधेगा*
*अगर बहने नहीं होगी तो राखी कौन बंधेगा*