अंतरिम बजट : सरकार गदगद तो विपक्ष ने बताया बीजेपी सरकार की विदाई वाला बजट
देवानंद सिंह
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में अंतरिम बजट पेश किया। बजट भाषण के दौरान उन्होंने बीते 10 वर्षों की सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और विकसित भारत के लिए सरकार का रोडमैप भी बताया। इस बजट को जहां सरकार ने गरीबों, महिलाओं और युवाओं का उत्थान करने वाला बताया वहीं, विपक्षी दलों ने इसको व्यर्थ बताते हुए बीजेपी सरकार की विदाई वाला बजट बताया।
दरअसल, जो उम्मीद बजट से की जा रही थी, वह पूर्ण होती नहीं दिखी। बजट में जिस झलक की उम्मीद आम आदमी ने लगाई थी, वह कहीं से भी पूरी होती नहीं दिख पाई। यानि इसे निराशाजनक बजट कहा जा सकता है, क्योंकि अगर बजट आम व मध्यवर्ग के हितों से दूर है तो यह स्पष्ट तौर पर माना जाएगा कि विकास की दिशा सही नहीं है, क्योंकि देश में अभी बेरोजगारी बहुत बड़ा मुद्दा है, उसको लेकर भी कुछ घोषणाएं की जानी चाहिए थीं, वहीं सेलरीड क्लाश लोगों को भी निराशा ही हाथ लगी। वित्तमंत्री का बजट भाषण छोटा भी था, जिसमें यह स्पष्ट तौर पर देखा गया कि बहुत से ऐसे मुद्दे थे, जो अछूते रह गए।
वित्त मंत्री ने सरकार के बढ़ते खर्चे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा ”यह एक ‘वोट-ऑन-अकाउंट’ है, जिसका एकमात्र उद्देश्य चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए सरकार को मजबूत बनाए रखना है। चिंता की बात यह है कि 18 लाख करोड़ रुपये का बजट घाटा है। इसका मतलब है कि सरकार अपने खर्च के लिए उधार ले रही है, जो उधार आगे बढ़ता रहेगा, ऐसे में सरकार के सामने चुनौती कम नहीं है।
उसकी कैसी होगी इस संबंध में भी कोई ठोस सबूत वित्त मंत्री द्वारा नहीं दिया गया, हालांकि मुख्य रूप से बजट में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष बल दिया, जिसके तहत पूंजीगत व्यय 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपये किया गया। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा। वहीं, प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों की मौजूदा दरों को भी बरकरार रखा गया। पिछले 10 साल के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह तिगुना, रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 2.4 गुना बढ़ी है, जिससे सरकार के कोष को काफी फायदा पहुंचा है, हालांकि वर्ष 2009-10 तक की अवधि से जुड़ी 25 हजार रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांग को वापस लेने की घोषणा की गई। वहीं, वित्त वर्ष 2010-11 से 2014-15 तक की 10 हजार रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांग को भी वापस लिया जाएगा।
उधर, सरकारी संपत्ति कोष अथवा पेंशन कोष द्वारा किए गए निवेश, स्टार्टअप के लिए कर लाभ 31 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया है, जहां तक सरकार ने इस बजट को आमलोगों का बजट बताया है, उसके तहत सरकार ने पीएम-आवास योजना (ग्रामीण) को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया, जिसके अंतर्गत अगले पांच वर्षों में दो करोड़ अतिरिक्त मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। छत पर सौर प्रणाली लगाने से एक करोड़ परिवार हर महीने 300 यूनिट तक निशुल्क बिजली प्राप्त करेंगे। स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें तो आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा सुरक्षा में सभी आशा
कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी शामिल किए जाने की घोषणा इस बजट में की गई है।
वित्त मंत्री ने सरकार की उपलब्ध्यिां गिनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष में अर्थव्यवस्था में काफी विकास हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसने तरक्की की है। जब वे प्रधानमंत्री बने, तब कई चुनौतियां मौजूद थीं। सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ सरकार ने इन चुनौतियों का सामना किया।
जन कल्याणकारी योजनाएं और विकास के बूते हम लोगों तक पहुंचे। देश को नया उद्देश्य और नई आशा मिली। जनता ने सरकार को फिर बड़े जनादेश के साथ चुना। हमने दोगुनी चुनौतियों को स्वीकार किया और सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ काम किया। हमने सामाजिक और भौगोलिक समावेश के साथ काम किया। ‘सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ हमने कोरोना के दौर का सामना किया और अमृतकाल में प्रवेश किया। इसके नतीजतन हमारा युवा देश के पास अब बड़ी आकांक्षाएं, उम्मीदें हैं। पिछले 10 साल में हमने सबके लिए आवास, हर घर जल, सबके लिए बैंक खाते जैसे कामों को रिकॉर्ड समय में पूरा किया। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया गया।
अन्नदाताओं की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया। पारदर्शिता के साथ संसाधनों का वितरण किया गया है। हम असमानता दूर करने का प्रयास किया है, ताकि सामाजिक परिवर्तन लाया जा सके। प्रधानमंत्री के मुताबिक गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता, ये ही चार जातियां हैं, जिन पर हमारा फोकस है।
उनकी जरूरतें, उनकी आकांक्षाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि आखिर यह बजट लोगों के लिए कितना खास रहा, क्योंकि दो-तीन महीने के अंदर चुनाव होने हैं। निश्चिततौर पर इस बजट का असर आगामी आम चुनावों में देखने को मिलेगा।