ईचागढ़ विधानसभा सीट आजसू को मिलने की आशंका के खबरों से एनडीए भाजपा खेमे में मची हलचल
झामुमो को मिल सकता है फायदा
राष्ट्र संवाद संवाददाता
चांडिल ईचागढ़ विधानसभा सीट पर एनडीए गठबंधन के भीतर राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है। सीट को लेकर भाजपा और आजसू के बीच असमंजस की स्थिति है, जहां आजसू के प्रत्याशी हरे लाल महतो को चुनावी मैदान में उतारने की चर्चाएं हैं। इस घटनाक्रम ने भाजपा के कई नेताओं के अंदर असंतोष की लहर पैदा कर दी है, जो ईचागढ़ से अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।
भाजपा के अंदर बगावत के आसार
भाजपा के पूर्व विधायक अरविंद सिंह, मधुसूदन गोराई, देवाशीष राय, बिनोद राय, अनीता पारित, और सारथी महतो जैसे कई प्रमुख नेता ईचागढ़ सीट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। लेकिन यदि यह सीट आजसू को दी जाती है और हरे लाल महतो को प्रत्याशी घोषित किया जाता है, तो पार्टी के इन स्थानीय नेताओं में असंतोष पनप सकता है, जिसके चलते भाजपा के भीतर बगावत और भीतरघात की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
पूर्व विधायक अरविंद सिंह और पूर्व भाजपा विधायक सारथी महतो का आजसू प्रत्याशी हरे लाल महतो के बीच पहले से ही मतभेद हैं। ऐसे में भाजपा के अन्य नेता जैसे देवाशीष राय, बिनोद राय सहित अनीता पारित किसी भी हालत में हरे लाल महतो का नेतृत्व स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। ये सभी नेता पहले से ही अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हैं और भाजपा संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ता माने जाते हैं। इससे भाजपा के अंदर गुटबाजी और मतभेद बढ़ने की संभावना प्रबल हो जाती है।
झामुमो और जे.बी.के.एस.एस. को मिल सकता है लाभ
ईचागढ़ सीट पर एनडीए की अंदरूनी खींचतान का सीधा फायदा इंडिया गठबंधन के झामुमो प्रत्याशी सविता महतो और जे.बी.के.एस.एस. को हो सकता है। खासकर जे.बी.के.एस.एस. का प्रभाव युवाओं में तेजी से बढ़ा है, जिससे आजसू को नुकसान हो सकता है। इस बार चुनाव में भाजपा विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण झामुमो और जे.बी.के.एस.एस. के पक्ष में जाता दिख रहा है। कल्पना सोरेन के मईया सम्मान यात्रा दौरे में ग्रामीण महिलाओ की उमड़ी भीड़ का समर्थन देख कर विधायक सविता महतो उत्साहित नजर आ रही है ,वही भाजपा एन. डी. ए. गठबंधन चिंतित नजर आ रहा है.
2019 के चुनाव परिणाम का प्रभाव
पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू प्रत्याशी को भाजपा विरोधी वोटों का लाभ मिला था, और वह मात्र 500 वोटों से हारकर दूसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन इस बार की परिस्थितियाँ बदल गई हैं। भाजपा और आजसू के बीच आपसी तालमेल बिठाना मुश्किल होता दिख रहा है, और यदि यह सीट आजसू को जाती है, तो भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
राजनीतिक समीकरणों का बदलता स्वरूप
ईचागढ़ विधानसभा सीट का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। यदि एनडीए गठबंधन ने यहां के जमीनी हकीकत को नज़रअंदाज किया, तो इसका सीधा फायदा झामुमो और जे.बी.के.एस.एस. को मिलेगा। भाजपा को भीतरघात से बचने और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट रखने के लिए सीट बंटवारे पर गहन विचार-विमर्श की ज़रूरत है, अन्यथा विधानसभा चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।