रतन कुमार की रिपोर्ट
खुटौना (मधुबनी)। गेहूं की बुआई के मौसम में खाद की भारी कमी से किसान परेशान हैं। बुआई में डीएपी, यूरिया और पोटाश डालना जरूरी होता है। लेकिन नवंबर के बीच से ही दुकानों से खाद गायब हो चुकी है। रोज किसानों को दुकानों का चक्कर लगाना पड़ता है लेकिन फिर भी खाद हाथ नहीं आती। बुआई के लिए खेत तैयार होने के बावजूद खाद नहीं मिलने से वे मायूस हैं। पारस कंपनी का डीएपी एवं आईपीएल का यूरिया और पोटाश क्वालिटी में बेहतर माना जाता है। लेकिन इन खादों के उपलब्ध नहीं रहने से किसानों के सामने भारी समस्या है। उधर खाद की कालाबाजारी की भी जानकारी आ रही है। पारस का 1200 रुपये प्रति बोरा का डीएपी कालाबाजार में 2000 रुपये या अधिक दर पर, 600 रुपए प्रति बोरा का पोटाश 1150 रुपए और 260 रुपये प्रति बोरा का यूरिया 400 से 450 रुपये प्रति बोरा की दर से बिकने की चर्चा है। साथ ही अपुष्ट जानकारी के अनुसार नकली खाद की बिक्री भी हो रही है। परिस्थिति के हिसाब से नकली खाद की बिक्री से इनकार नहीं किया जा सकता है। माकपा जिला कमिटी सदस्य एवं खेमयू नेता उमेश घोष ने इस परिस्थिति के लिए व्यापारियों और अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराया है। उनका कहना है कि हर साल खरीफ तथा रबी बुआई के मौसम में ऐसी स्थिति बना दी जाती है। इससे जहां कालाबाजारी करनेवाले व्यापारी मालामाल हो जाते हैं वहीं किसान तंगहाल हो जाते हैं। नहरी के पूर्व मुखिया चन्द्र किशोर सल्हैता और शंभू सल्हैता खाद के अभाव में बुआई के रुके होने की बात बताते हैं तो दुर्गीपट्टी के किसुन मंडल तथा मझौरा के नारायणपुर के नारायण यादव के अनुसार किसान अब गेहूं की खेती छोड़ने का मन बना रहे हैं क्योंकि ब्लैक में खाद खरीदकर खेती करना नुकसान का सौदा होता है। प्रखंड के प्रभारी बीएओ शौकत अली एक सप्ताह में खाद के रैक लग जाने से स्थिति सामान्य होने का आश्वासन दे रहे हैं।