Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » बेंगलुरु में व्यवस्थाओं के अमानवीय चेहरे का बेनकाब होना
    Breaking News Headlines उत्तर प्रदेश ओड़िशा खेल झारखंड पश्चिम बंगाल बिहार मेहमान का पन्ना राजनीति राष्ट्रीय

    बेंगलुरु में व्यवस्थाओं के अमानवीय चेहरे का बेनकाब होना

    News DeskBy News DeskJune 6, 2025No Comments7 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    बेंगलुरु में व्यवस्थाओं के अमानवीय चेहरे का बेनकाब होना
    – ललित गर्ग –

    बढ़ते तापमान रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ( आरसीबी ) की शानदार जीत के बाद आयोज्य जश्न के मातम, हाहाकार एवं दर्दनाक मंजर ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था की पोल ही नहीं खोली बल्कि सत्ता एवं खेल व्यवस्थाओं के अमानवीय चेहरे को भी बेनकाब किया है। आरसीबी विक्ट्री परेड के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास अचानक मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 गंभीर रूप से घायल हुए हैं। भगदड़ में लोगों की जो दुखद मृत्यु हुई, यह राज्य प्रायोजित एवं प्रोत्साहित हत्या है। पुलिस का बंदोबस्त कहां था? चीख, पुकार और दर्द और क्रिकेट सितारों को देखने की दीवानगी एक ऐसा दर्दनाक एवं खौफनाक वाकया है जो सुदीर्घ काल तक पीड़ित और परेशान करेगा। प्रशासन की लापरवाही, अत्यधिक भीड़, निकासी मार्गों की कमी और अव्यवस्थित प्रबंधन ने इस त्रासदी को जन्म दिया। यह घटना कोई अपवाद नहीं है, बल्कि हाल के वर्षों में दुनिया भर में सामने आई ऐसी घटनाओं की कड़ी का नया खौफनाक मामला है, जहाँ भीड़ नियंत्रण में चूक एवं प्रशासन एवं सत्ता का जनता के प्रति उदासीनता का गंभीर परिणाम एवं त्रासदी का ज्वलंत उदाहरण है।
    क्रिकेट की दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक उत्सव इंडियन प्रीमियर लीग के फाइनल मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बंेगलुरु ने 18वें संस्करण में आईपीएल खिताब जीत लिया। इस कामयाबी से आईपीएल से विदाई ले रहे विराट कोहली के प्रति जन-उत्साह उमड़ा। लेकिन इस जीत के जश्न की चमक में प्रशंसकोें की चीखें एवं आहें का होना और उसे खिलाडियों एवं राजनेताओं द्वारा नजरअंदाज करना, अमानवीयता की चरम पराकाष्ठा है। दुर्घटना होने एवं आम लोगों की मौतें हो जाने के बावजूद जश्न जारी रहना, दुखद एवं शर्मनाक है। प्रशंसकों की अहमियत को कमतर आंकने के इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम ने न केवल राजनेताओं को बल्कि खिलाड़ियों को भी दागी किया है। घटना ने एक बार फिर हमारे अवैज्ञानिक व लाठी भांजने वाले भीड़ प्रबंधन की ही पोल खोली है। इस जीत के जश्न में हिस्सा लेने आई भीड़ का एक लाख तक होने का अनुमान था। लेकिन लंबे अंतराल के बाद मिली जीत ने लोगों के उत्साह को इस स्तर तक पहुंचा दिया कि स्टेडियम के आसपास तीन लाख से अधिक लोगों की भीड़ जमा हो गई। खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का मौत की खबरें मिलने के बावजूद खिलाडियों के साथ जश्न मनाने में जुटा रहना उनकी प्रचार भूख का भौंडा उदाहरण है। जब मौत के बाद वहां पसरा मातम देखकर सब स्तब्ध थे तो सिद्धारमैया क्यों अपने पद की गरिमा एवं जिम्मेदारी को धूमिल कर रहे थे? सोचिए लोगों की मौत के बाद अगर एक मिनट भी जश्न मना, तालियां बजीं, ठहाके लगे, फ्लाइंग किस दिए गए तो इससे ज्यादा अमानवीयता और निर्दयता क्या हो सकती है? जब खुद सरकार एक जश्न का मातम में बदलने का नेतृत्व करेगी तो आम लोगों का कांप उठना स्वाभाविक है।
    बहरहाल, आईपीएल का आयोजन लगातार नई ऊंचाइयों को छूता हुआ व्यावसायिक क्रिकेट को नई ऊंचाइयां देने में जरूर सफल रहा है। फटाफट क्रिकेट के दुनिया के सबसे बड़े उत्सव में भारत के दो सर्वकालिक महान खिलाड़ियों विराट कोहली व एमएस धोनी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। अंततः विराट कोहली का आईपीएल खिताब जीतने का लंबा इंतजार इस जीत के साथ खत्म हुआ। लेकिन धोनी पांच बार की विजेता चेन्नई सुपरकिंग को जीत का खिताब दिलाने से चूक गए। एक तरह से आईपीएल क्रिकेट से कोहली की यह शानदार विदाई साबित हुई। वे इस गरिमामय विदाई के हकदार भी थे। उनके करोड़ों प्रशंसकों की कतारे देख कर राजनेता भी उनकी साथ मंच सांझा करने को उत्सुक दिखे, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, अन्य मंत्री एवं प्रशासनिक अधिकारी भी इसी फिराक में अपनी जिम्मेदारियों को भूल जश्न मनाते रहे और आमजनता अव्यवस्थाओं के कारण मौत में समाती रही। यह ऐसी दुखद घटना है जो अपनी निर्दयता एवं क्रूरता के लिये लम्बे समय तक कौंधती रहेगी। सिद्धारमैया के इस घटना की तुलना प्रयागराज कुंभ में हुए हादसे के करना उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता को ही दर्शा रही है।
    भारत में भीड़ से जुड़े हादसे अनेक आम लोगों के जीवन का ग्रास बनते रहे हैं। धार्मिक आयोजनों हो या खेल प्रतियोगिता, राजनीतिक रैली हो या सांस्कृतिक उत्सव लाखों लोगों को आकर्षित करते हैं, जहाँ भीड़ प्रबंधन की मामूली चूक भयावह त्रासदी में बदलते हुए देखी जाती रही है। उदाहरण के लिये, वर्ष 2022 में दक्षिण कोरिया के इटावन हैलोवीन समारोह में अत्यधिक भीड़ के कारण 150 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इसी तरह, वर्ष 2015 में मक्का में हज के दौरान मची भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के रत्नागढ़ मंदिर में ढाँचागत कमियों से प्रेरित भगदड़ के कारण 115 लोगों की मौत हो गई थी। हालही में महाकुंभ के दौरान नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन एवं प्रयागराज में हुए हादसे में भी अनेकों लोगों की जान गयी। आग, भूकंप, या आतंकी हमलों जैसी आपातकालीन स्थितियाँ में भी भीड़ प्रबंधन की पौल खुलती रही है। आखिर दुनिया के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश में हम भीड़ प्रबंधन को लेकर इतने उदासीन क्यों है? बड़े आयोजनों-भीड़ के आयोजनों में भीड़ बाधाओं को दूर करने के लिए, भीड़ प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार, सुरक्षाकर्मियों को पर्याप्त प्रशिक्षण प्रदान करना, जन जागरूकता बढ़ाना और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना अब नितान्त आवश्यक है।
    रेलवे स्टेशन, मंदिर और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त जगह और रास्ते नहीं हैं। कुछ स्थानों पर निकास मार्ग सीमित हैं या अनुपयुक्त हैं, जो भगदड़ का खतरा बढ़ाते हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित एवं दक्ष सुरक्षाकर्मी नहीं हैं, जिससे सुरक्षा चूक होने की संभावना बढ़ जाती है। भीड़ प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों, जैसे कि एआई आधारित निगरानी और ड्रोन कैमरे का उपयोग सीमित है। लोगों को आपातकालीन निकास मार्गों, भीड़ नियंत्रण नियमों, और सुरक्षा उपायों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। गलत सूचना या अचानक दहशत से भीड़ अनियंत्रित हो सकती है और भगदड़ मच सकती है। भीड़ का व्यवहार कई बार अनियंत्रित हो जाता है, खासकर धार्मिक, खेल एवं सिनेमा आयोजनों में, जहां लोग भावनाओं में बहकर आगे निकलने की होड़ में लग जाते हैं। कई बार आयोजनकर्ताओं और पुलिस के बीच समन्वय की कमी होती है, जिससे सुरक्षा चूक हो सकती है। भीड़ प्रबंधन केवल विधि-व्यवस्था बनाए रखने का विषय नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन की सुरक्षा, सार्वजनिक स्थानों की संरचना और आपातकालीन स्थितियों से निपटने की रणनीतियों से गहनता से संबद्ध है। दुर्भाग्यवश, कई बार आयोजकों और प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किये जाते, जिससे जानमाल की हानि होती है। इस परिदृश्य में, बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की मौजूदा स्थिति, उससे जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ, हालिया घटनाओं से मिले सबक और प्रभावी समाधानों की चर्चा करना बेहद प्रासंगिक होगा, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।
    भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में धार्मिक उत्सव, खेल आयोजनों और राजनीतिक रैलियों में लाखों लोग जुटते हैं। ऐसे आयोजनों के लिये पुलिस, होम गार्ड, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया जाता है। विश्व के विभिन्न विकसित देशों में भीड़ प्रबंधन के लिये अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। जापान जैसे देशों में रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों पर अत्यधिक भीड़ के प्रबंधन के लिये ऑटोमेटेड एंट्री और एग्जिट सिस्टम स्थापित किये गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों में स्टेडियमों, एयरपोर्ट्स एवं धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण के लिये एआई आधारित कैमरे, आपातकालीन अलर्ट सिस्टम और प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं। हालाँकि भारत में बड़े आयोजनों के लिये प्रशासनिक तैयारियाँ की जाती हैं, फिर भी समय-समय पर कई कमियाँ उजागर होती रही हैं। लेकिन आरसीबी के चिन्नास्वामी स्टेडियम के जश्न के दौरान खामियां ही खामियां देखने को मिली। ऐसे बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन कोई आसान कार्य नहीं है। लाखों लोगों को नियंत्रित करने के लिये ठोस रणनीति, प्रशासनिक कौशल और अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है, जिसका इस आयोजन में सर्वथा अभाव रहा। आखिर इतने लोगों की मौत की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और दोषी लोगों को कड़ा दण्ड दिया जाना चाहिए।

    बेंगलुरु में व्यवस्थाओं के अमानवीय चेहरे का बेनकाब होना
    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleराष्ट्र संवाद हेडलाइंस
    Next Article डिजिटल युग का नया पन्ना: क्या ₹500 के नोट को कहा जाएगा अलविदा?

    Related Posts

    जनजाति गौरव दिवस को लेकर भाजपा ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

    November 13, 2025

    धान अधिप्राप्ति को लेकर उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक संपन्न

    November 13, 2025

    गरीब और मेधावी छात्रों को समाजसेवियों ने दी आर्थिक सहायता

    November 13, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    जनजाति गौरव दिवस को लेकर भाजपा ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

    धान अधिप्राप्ति को लेकर उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक संपन्न

    गरीब और मेधावी छात्रों को समाजसेवियों ने दी आर्थिक सहायता

    हजारों नम आंखों ने दी अंतिम विदाई, रिटायर्ड शिक्षक मो नासिरुद्दीन को उनके पैतृक गांव खिजुरिया में किया गया सुपुर्द-ए-ख़ाक

    झारखंड स्थापना दिवस पर कोरंगापारा में अमृत सरोवर परिसर में कलश यात्रा व पौधारोपण कार्यक्रम संपन्न

    कृषि एवं सहकारिता विभाग की मासिक समीक्षा बैठक संपन्न

    तकनीकी विभागों की समीक्षा बैठक संपन्न, पॉलीटेक्निक कॉलेज शुरू करने के निर्देश

    लायंस क्लब भारत ने किया “पीस पोस्टर” प्रतियोगिता का आयोजन

    ताजपोसी की करो तैयारी आ रहा है लालटेनधारी : सुधीर कुमार पप्पू 

    राष्ट्र संवाद नजरिया:डॉक्टर जब मौत के औजार थाम ले, तब समाज को अपने नैतिक मूल्यों का पुनर्जन्म करना पड़ता है

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.