देश के लिए दिल में अलख जगाना जरूरीः जनरल वी.के. सिंह
नई दिल्ली, 23 जनवरी, बुधवार
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कलानिधि और कलादर्शन विभाग ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ के अवसर पर “वतन पे कुर्बान” पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया। पुस्तक की लेखिका प्रसिद्ध लोकगायिका विजया भारती हैं। इस अवसर पर आईजीएनसीए की सुभाष चंद्र बोस पर आधारित पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग और नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री तथा पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विजय कुमार सिंह थे। विशिष्ट अतिथि सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और अध्यक्ष पद्मभूषण श्री विंदेश्वर पाठक थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने की। कार्यक्रम के प्रारम्भ में आईजीएनसीए के कलानिधि विभाग के
अध्यक्ष और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार एवं कवि पं. सुरेश नीरव ने किया। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध गीतकार व साहित्यकार श्री बुद्धिनाथ मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में विजया भारती और उनकी टीम ने “वतन पे कुर्बान” में संकलित कुछ कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति भी दी।
इस अवसर पर जनरल विजय कुमार सिंह ने कहा कि देशभक्ति की कविताओं की यह पुस्तक, जिसे श्रीमती विजया भारती ने लिखा है और इनका संगीत तैयार किया है, लोगों को प्रेरित करने का काम करेगी। उन्होंने आगे कहा कि जो कुछ भी देश के लोगों को प्रेरित करता है, उसका लोगों के दिलों में सर्वोच्च स्थान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि “देश को विशेष बनाने के लिए दिल में देश के लिए अलख जगाना जरूरी है।” उन्होंने कहा कि आज पाठ्यपुस्तकों में देश के प्रति भाव जगाने वाले साहित्य का अभाव हो गया है। आज बच्चों को नहीं पता है कि
सुभद्राकुमारी चौहान और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर कौन हैं! अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री विंदेश्वर पाठक ने कहा, “जो देश की रक्षा करते हैं, वे पहली पंक्ति में आते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी को छोटा-सा ही सही, देश और समाज के लिए योगदान करना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी को भी उद्धृत किया, “यह मत पूछो कि देश ने आपके लिए क्या किया, यह पूछो कि आपने देश के लिए क्या किया।”
डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि “वतन पे कुर्बान” विजया भारती की ही रचना नहीं है, बल्कि भारत की रचना है। उन्होंने आगे कहा कि रणभूमि के सिपाही (जनरल वी.के. सिंह) ने कलम के सिपाही का हौसला बढ़ाया है। श्री बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा कि विजया भारती की पुस्तक राष्ट्रीय उत्साह और राष्ट्रवाद को सामने लेकर आई है। उन्होंने यह भी कहा कि यह संकलन ‘स्वर’ (संगीत) और ‘शब्द’ का संगम है।
उन्होंने अंत में संस्कृति के समग्र पहलुओं को सामने लाने के लिए आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी को धन्यवाद दिया। अंत में, कलादर्शन विभाग की अध्यक्ष प्रो. ऋचा कंबोज ने गणमान्य व्यक्तियों और आगंतुकों को कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद दिया।