राजनीति में कोई सूर्यास्त नहीं होता, जहां फुल स्टॉप दिखता है वहीं से राजनीति शुरू होती है : रवींद्र पांडेय
रांची: आजसू पार्टी लोकसभा की कई सीटों पर दावेदारी कर रही थी। उनमें हजारीबाग की सीट पर उसकी पहली नजर थी। लेकिन गिरिडीह की सीट आजसू पार्टी के खाते में गयी। इसे भाजपा के दो कद्दावर नेताओं के बीच पिछले काफी दिनों से जारी जंग का परिणाम भी बताया जा रहा है। यह समझौता दोनों ही दलों के लिए हितकर समझा जा रहा है। भाजपा को राज्य के महतो वोटरों को साधने के लिए आजसू का साथ मिला तो आजसू पहली बार गठबंधन में एक लोकसभा सीट मिलने से वैसे ही खुश है। अब दोनों ही दलों के लिए चुनौती भर इतनी है कि अपने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को शांत रखना। पांच बार के सांसद रवींद्र पांडेय ने पार्टी के इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग भी कर दी है। उन्होंने कहा है कि गिरिडीह की सीट आजसू के खाते में जाने से कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। फैसले से पूर्व उनसे राय भी नहीं ली गई। 30 वर्षों से वे पार्टी की सेवा कर रहे हैं। इसका क्या मुझे यही फल मिला है? राजनीति में यह सब होता रहता है। अगर बात होती तो वे यह सीट छोड़ देते। यह पूछने पर क्या विधायक ढुल्लू महतो के साथ विवाद के कारण केंद्रीय नेतृत्व को यह फैसला लेना पड़ा? इसपर पांडेय ने कहा – इसमें कोई दम नहीं है। मुख्यमंत्री के साथ मंत्री सरयू राय का विवाद जगजाहिर है पर पार्टी ने कहां कुछ किया। राजनीति में कोई सगा नहीं होता है। जो दिखता है, वह होता नहीं है। 2019 का लोकसभा चुनाव रवींद्र पांडेय लड़ेंगे या नहीं….? इस पर उन्होंने कहा- राजनीति में न तो कभी सूर्यास्त होता है और नहीं ही फुल स्टाॅप। जहां पर फुल स्टाॅप दिखता है, वहीं से राजनीति शुरू होती है।
ढुल्लू ने कहा- पार्टी के फैसले पर कुछ नहीं कहना
इधर, विधायक ढुल्लू महतो का यह कहना कि-पार्टी के फैसले पर उन्हें कुछ नहीं कहना है, राजनीतिक बयान दे दिया है। हालांकि ढुल्लू महतो के चुप बैठने की संभावना भी कम जतायी जा रही है। उनके द्वारा कोई भी अप्रत्याशित कदम उठाये जाने से इसलिए भी इंकार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि वह पार्टी कैडर के बदले अपने कैडर पर चुनाव जीतने में विश्वास करते हैं।
विस चुनाव में भी भाजपा-आजसू गठबंधन के बढ़े अासार
लोकसभा चुनाव में आजसू पार्टी और भाजपा के बीच गठबंधन के बाद अब 2019 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों के बीच गठबंधन के आसार बढ़ गये हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा के बीच गठबंधन में आजसू पार्टी को सिर्फ आठ सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। लेकिन अब आजसू पार्टी ज्यादा सीटों की मांग करेगी।
गिरिडीह से कौन होगा आजसू उम्मीदवार
गिरिडीह सीट मिलने के बाद आजसू से पार्टी का कौन उम्मीदवार होगा, इसकी चर्चा छिड़ गयी है। संभावित उम्मीदवारों में मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी के अलावा डॉ लंबोदर महतो, राज किशोर महतो के नाम लिए जाने लगे हैं।
मेरा दिल्ली में कोई गॉड फादर नहीं
सांसद ने कहा कहा कि उनका दिल्ली में कोई गॉड फादर नहीं है।*
कार्यकर्ता, यहां की जनता और काम ही उनका गॉड फादर है। जैसा इनका आदेश होगा, वैसा ही करेंगे। उन्होंने कहा कि बहुत उतार चढ़ाव देखा है। ईमानदारी से काम किया है, इसलिए जनता व कार्यकर्ता साथ है।
आजसू पर बोले – यहां जनाधार नहीं
सांसद ने कहा कि गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में आजसू का जनाधार नहीं है। आजसू की टिकट पर एकबार राजकिशोर महतो चुनाव लड़े थे। मात्र 36 हजार वोट लाए थे। जबकि सुदेश महतो के ससुर पिछले चुनाव में मात्र 50 हजार वोट में सिमट गए थे।