शास्त्रों के अनुसार कुम्भ राशिस्थ के समय जिस दिन सूर्यदेव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन हरिद्वार में कुम्भपर्व मनाया जाता है. इस वर्ष (संवत्सर 2078 में) 13 अप्रैल 2021 को भारतीय समयानुसार अर्द्धरात्रि के बाद 2 बजकर 33 मिनट पर सूर्यदेव मेष राशि में प्रविष्ट होंगे.इस समय बृहस्पति कुम्भ राशि में होगा जोकि 5 अप्रैल 2021 को कुम्भ राशि में प्रवेश कर चुका होगा.अतः शास्त्रानुसार 14 अप्रैल 2021 को हरिद्वार में कुम्भ-महापर्व पर गंगा-स्नान,दान,जप का मुख्य पुण्यकाल होगा. *मेष की संक्रांति का पुण्यकाल 14 अप्रैल 2021 को हरिद्वार में मध्यान्ह अर्थात 12:18 बजे तक रहेगा. यद्यपि संक्रांति का पुण्यकाल 16 घड़ी(6 घंटे 24 मिनट) पहिले और 16 घड़ी बाद में माना जाता है.अतएव एक मतानुसार 14 अप्रैल 2021 को संक्रान्ति प्रवेश 6 घंटे 24 मिनट बाद प्रातः 8:57 बजे तक गंगा स्नान-जप-दान का विशेष महत्व रहेगा.
स्नान, जप, पाठ, तर्पण का विशेष लाभ
परन्तु अन्य मतानुसार यदि आधी रात से पूर्व संक्रांति हो,तो पहले दिन उत्तरार्द्ध(तीसरे पहर से) में पुण्यकाल होता है तथा यदि अर्द्ध रात्रि के उपरांत संक्रांति प्रवेश हो तो दूसरे दिन का पूर्वार्द्ध( दिन का प्रथम अर्द्धभाग) पुण्यकाल होगा. शास्त्र-निर्देशों के अनुसार प्रमुख शाही स्नान दिनाँक 14 अप्रैल 2021 मेष संक्रांति के पुण्य काल में सूर्योदय से पहले अरुणोदयकाल से लेकर मध्यान्ह 12:18 बजे तक रहेगा.अतः इस काल में स्नान,जप,पाठ,तर्पण आदि का विशेष लाभ मिलेगा.
हरिद्वार कुम्भ-महापर्व की पुण्य स्नान तिथियां निम्न होंगी:-
महाशिवरात्रि व्रत दिवस(11 मार्च 2021,गुरुवार, प्रथम शाही स्नान):- यह कुम्भ महापर्व का विशेष स्नान का दिन है.इस दिन शाही-स्नान का समय प्रातः 4:19 बजे से मध्यान्ह 12:18 बजे तक रहेगा. इस दिन गंगा-स्नान के उपरान्त शिव पूजन करना अत्यंत शुभ एवं पुण्यदायी होगा.संध्या काल में(प्रदोष काल) में पुनः स्नान करके चार पहर रात्रि पर्यन्त भगवान शिव का पूजन करने से महापुण्य प्राप्त होता है.
.फाल्गुन(शनैश्चरी)अमावस्या(13 मार्च 2021,शनिवार):- अमावस्या पितरों की तिथि होने के कारण कुम्भपर्व की स्नान तिथि पर गंगा-स्नान के पश्चात पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.शनिवारी फाल्गुन अमावस्या होने के कारण कुम्भपर्व पर स्नान हेतु विशेष पुण्यदायी होगी.
चैत्र संक्रांति(14 मार्च 2021,रविवार):- इस दिन पुण्यकाल पूर्वाह्न 11:39 बजे के बाद से पूरे दिन रहेगा.
महाविशुव दिन(20 मार्च 2021,शनिवार):-
वारुणी पर्व(8/9 अप्रैल 2021):- इस दिन 8 अप्रैल 2021 की मध्य रात्रि के बाद 3:16 बजे से 4:57 बजे तक वारुणी योग रहेगा.इस योग में गंगा-स्नान आदि का फल सौ सूर्यग्रहण के समान माना गया है.
.चैत्र अमावस्या/सोमवती अमावस्या(12 अप्रैल 2021,सोमवार:- इस दिन कुम्भपर्व का दूसरा शाही स्नान होगा.
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्र एवं नव संवत्सर(13 अप्रैल 2021,मंगलवार):- यह कुम्भपर्व के स्नान की विशेष तिथि है.
मेष संक्रान्ति पुण्यकाल(14 अप्रैल 2021,बुधवार):- संक्रांति प्रवेश काल मध्य रात्रि के बाद होने से संक्रांति पुण्यकाल अगले दिन तक रहेगा. इस दिन कुम्भपर्व स्नान करने से सहस्त्रों अश्वमेघ यज्ञ करने से, सैकड़ो वाजपेय यज्ञ करने से और लाख बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने से जो फल प्राप्त होता है, वह पुण्य फल केवल कुम्भपर्व स्नान से प्राप्त होता है.
श्री रामनवमी(21 अप्रैल 2021,बुधवार):- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जन्मतिथि के दिन स्नान-जप आदि के लिए अत्यंत शुभ है.यह तिथि कुम्भपर्व की पंचम प्रमुख स्नान की तिथि है.
चैत्र पूर्णिमा(27 अप्रैल 2021,मंगलवार):- इस दिन से वैशाख माह स्नान प्रारम्भ हो जाएगा.
.वैशाख(भौमवती अमावस्या,11 मई,मंगलवार):-
.अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती(14 मई 2021,शुक्रवार):-
जेष्ठ संक्रांति(14 मई 2021,शुक्रवार):- सूर्य संक्रमण काल स्नान-दान-जप आदि हेतु अत्यंत पुण्यप्रद है.
.आद्य गुरु शंकराचार्य जयंती(17 मई 2021,सोमवार):-
श्री गंगा-जयंती(18 मई 2021,मंगलवार):- इस दिन मध्यान्ह व्यापिनी गंगा-जयंती होने के कारण गंगा-स्नानादि का समय मध्यान्ह 12:33 बजे से सन्ध्या काल तक रहेगा.
.वैशाखी पूर्णिमा(26 मई 2021,बुधवार):- यह हरिद्वार के कुम्भ महापर्व की अंतिम स्नान तिथि होगी.यहां कुम्भ महापर्व की समाप्ति होगी.
इन सभी तिथियों मे एक बाल्टी जल में एक दो बूँद गंगा जल मिला ले. एक- एक/दो -दो मग से परिवार के सभी सदस्य स्नान कर ले.
इस प्रकार, घर पर रहकर ही आप सब, पूरे परिवार के साथ, इन 6 तिथियों मे 6 बार, हरिद्वार नहीं जाकर भी, हरिद्वार कुम्भ स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त कर लेंगे.