नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण को लेकर अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा, हर संरक्षित वनों में एक किमी का पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) होना चाहिए. ईएसजेड में माइनिंग या पक्के निर्माण की इजाजत नहीं होगी. न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सभी प्रदेशों के मुख्य वन संरक्षक को ईएसजेड के तहत मौजूदा संरचनाओं की लिस्ट तैयार करने को कहा है. इसके अलावा राज्यों को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही को रद्द कर दिया. इस कारण विशाखापत्तनम में समुद्र तट से सटे रुशिकोंडा हिल्स में निर्माण कार्य रुक गया है. कोर्ट ने कहा, विकास जरूरी है, लेकिन पर्यावरण की रक्षा करना भी महत्वपूर्ण है. न्यायाधीश गवई और न्यायाधीश हिमा कोहली ने कहा, हाईकोर्ट का आदेश न्यायाधिकरण के आदेशों पर प्रभावी होगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि विरोधी आदेश संबंधित अधिकारियों के लिए मुद्दा होगा. उन्हें नहीं पता होगा कि किस आदेश का पालन करना है. ऐसे केस में संवैधानिक न्यायालय के आदेश न्यायाधिकरण के आदेशों पर प्रभावी होंगे. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, विकास और पर्यावरण के मुद्दों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है, जैसे किसी राष्ट्र का आर्थिक विकास आवश्यक है.