नई दिल्ली. समलैगिंग शादी को मान्यता देने वाली 20 याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में 6वें दिन सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा. जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है. गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे.
इस पर सीजेआई श्री चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह जिक्र समलैगिंक शादी में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा. छटवे दिन की सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा व जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही है. केंद्र सरकार ने सेम सेक्स को मान्यता देने का विरोध करते हुए कहा कि हम इस मामले में उलझ रहे हैं. हम तो कह रहे हैं कि इस मामले पर सुनवाई ही ना की जाए. यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की कवायद आने वाली पीढिय़ों के लिए हो रही है. अदालत और संसद इस पर बाद में फैसला करेंगे
सुकों में दी गई दलीलें-
-अपोजिट जेंडर वाले समलैंगिकों को दिए जाने वाले बेनिफिट की मांग सकते हैं. यह भी हो सकता है कि अपोजिट जेंडर वाले शादीशुदा अदालत में आएंगे और कहेंगे कि मुझे वही लाभ मिले जो समलैंगिक जोड़ों को मिलता है, क्योंकि मैं भीतर से हेट्रोसेक्शुअल हो सकता हूं, लेकिन मुझे कुछ और लगता है.
– सेक्शुअल ऑटोनॉमी का हवाला देकर कोई अनाचार पर रोक लगाने वाले प्रावधानों को ही कोर्ट में चुनौती दे सकता है. इस पर सीजेआई ने कहा कि ये तर्कसंगत नहीं है. कोई भी अदालत कभी भी इसका समर्थन नहीं करेगी. समलैंगिक विवाह की मान्यता की मांग करने वाले स्पेशल मैरिज एक्ट को दोबारा लिखवाना चाहते हैं. याचिकाकर्ता अपनी जरूरत देख रहे हैं. क्या कोई एक्ट ऐसा हो सकता है कि एक तरफ वह विषमलैंगिकों पर लागू हो और दूसरी तरफ समलैंगिकों पर. इसका कोई मतलब नहीं हो सकता.