कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का केंद्र पर आरोप “मोदी सरकार ने अन्नदाताओं से किए गए अपने तीन वादे तोड़े”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन का समर्थन किया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए वादे तोड़ दिए। उन्होंने यह दावा भी किया कि सरकार अब किसानों की आवाज पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है। मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “कंटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीले और बंदूक़ें… सबका है इंतज़ाम, तानाशाह मोदी सरकार ने किसानों की आवाज़ पर जो लगानी है लगाम ! ” उन्होंने कहा, “याद है ना “आंदोलनजीवी” व “परजीवी” कहकर किया था बदनाम और 750 किसानों की ली थी जान। ”
‘अन्नदाताओं से किए तीन वादे तोड़े’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, “10 वर्षों में मोदी सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए गए अपने तीन वादे तोड़े हैं – 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी, स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक़ लागत और 50 प्रतिशत एमएसपी लागू करना और एमएसपी को क़ानूनी दर्जा।” खरगे ने कहा, “अब समय आ गया है 62 करोड़ किसानों की आवाज़ उठाने का। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में आज कांग्रेस पार्टी “किसान न्याय” की आवाज़ उठाएगी।” उन्होंने कहा, “हमारा किसान आंदोलन को पूरा समर्थन है। न डरेंगे, न झुकेंगे !”
जानें क्या है किसानों की मांग?
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय”, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
बैठक में नहीं बनी सहमति
सोमवार देर रात को केंद्र सरकार के साथ पांच घंटे से अधिक वक्त तक चली दूसरे चरण की बैठक के बाद किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है। हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं… हम कल सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।” हालांकि, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि शेष मुद्दों को एक समिति के गठन के माध्यम से सुलझाया जाए।