गांधीनगर. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भूमि सर्वेक्षण सुधार और आवारा सांडों को हटाने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि भूमि का पुनर्सर्वेक्षण कर पुन: सर्वेक्षण में भूमि नाप-जोखियों के आवेदन को शीघ्र निपटाने का निर्णय लिया गया है.
पायलट परियोजना की शुरुआत
सरकार के प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में भूमि की उचित माप सुनिश्चित करने और शेष दोषों को दूर करने के लिए जामनगर और देवभूमि द्वारका में एक पायलट परियोजना शुरू की थी. इसके तहत शासन को दोनों जिलों में नई मापी कराकर पुन: सर्वेक्षण में भूमि मापी के संबंध में आवेदन प्राप्त हुए.
इन दोनों जिलों में प्राप्त आवेदनों के अनुसार त्रुटि सुधार कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा. हालांकि इससे पहले रुपाणी सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के लिए लगभग 700 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. तब भूपेंद्र पटेल की सरकार ने पुराने भूमि सर्वेक्षण को रद्द कर दिया है और सरकार द्वारा फिर से भूमि सर्वेक्षण किया जाएगा. अगले चरण में यह भूमि सर्वेक्षण दोष सुधार कार्यक्रम प्रदेश के अन्य जिलों में बहुत तेजी से चलाया जायेगा.
50 हजार सांडों को हटाएंगे
राज्य में आवारा पशुओं की समस्या को रोकने के लिए 50 हजार सांडों को हटाने का भी निर्णय लिया गया है. ताकि लोगों पर होने वाले हमलों को रोका जा सके. राज्य सरकार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 50 हजार सांडों का पंजीकरण किया गया है. सांड के इस हमले से मासूम लोगों की जान जा रही है. सरकार ने लोगों पर हमलों को रोकने के लिए समझौते के तौर पर सांड को हटाने का फैसला किया है. बैलों को निकालने के बाद उन्हें पिंजरों या गौशालाओं में भेज दिया जाएगा. इससे पहले सरकार ने आवारा पशुओं को लेकर विधानसभा में कानून पारित किया था. हालांकि विरोध के कारण कानून वापस ले लिया गया था.