नई दिल्ली. देश में डॉक्टरी की पढ़ाई के सिलेबस में कई बदलाव करते हुए नई गाइडलाइंस जारी की गई हैं. MBBS के स्टूडेंट्स पढ़ाई शुरू करने से पहले जो शपथ लेते हैं, उसे भी बदल दिया गया है. उन्हें अब सदियों पुरानी हिप्पोक्रेटिक शपथ के बजाय महर्षि चरक शपथ लेनी होगी. देश में मेडिकल एजुकेशन की रेग्युलेटरी बॉडी नैशनल मेडिकल कमीशन ने इस शपथ को सिलेबस का हिस्सा बना दिया है. इसके अलावा मेडिकल स्टूडेंट्स को अब पढ़ाई के पहले साल से ही कम्यूनिटी हेल्थ ट्रेनिंग करनी होगी. उन्हें कोई गांव गोद भी लेना पड़ेगा. 10 दिन का योगा कोर्स भी करना होगा. कुछ कोर्सों को भी आगे-पीछे किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार महर्षि चरक शपथ को सिलेबस में जोड़कर मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य बनाए जाने की जानकारी ऐसे समय सामने आई है, जब हाल ही में सरकार की तरफ से संसद में इसे लेकर स्पष्टीकरण दिया गया था. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में सवाल के जवाब में कहा था, राष्ट्रीय मेडिकल आयोग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ से बदलने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. बताया जाता है कि यह नई शपथ महर्षि चरक की लिखी पुस्तक ‘चरक-संहिता’ से ली गई है. महर्षि चरक को दुनिया में सबसे प्राचीन कही जाने वाली आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का शीर्ष विशेषज्ञ माना जाता है.
नई गाइडलाइंस में मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए 10 दिन के योगा फाउंडेशन कोर्स का भी सुझाव दिया गया है. ये कोर्स हर साल 12 जून से शुरू होगा और 21 जून को योग दिवस पर पूरा होगा. इसे सभी कॉलेजों में कराया जाएगा. हालांकि कॉलेज तय कर सकेंगे कि इसे किस तरह कराया जाए. एक्सप्रेस के मुताबिक, रिवाइज्ड करिकुलम में अब मेडिकल स्टूडेंट्स को कोर्स के पहले साल से ही कम्यूनिटी हेल्थ ट्रेनिंग में हिस्सा लेना होगा. इसके तहत उन्हें कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों की विजिट करनी होगी और ऐसे गांवों को गोद लेना होगा, जहां प्राइमरी हेल्थ सेंटर नहीं हैं. डॉक्टर बताते हैं कि मौजूदा करिकुलम में कम्यूनिटी मेडिसिन पढ़ाई के तीसरे साल में आती है.
इसके अलावा फॉरेंसिक और टॉक्सिकोलॉजी जैसे विषय जो दूसरे साल में पढ़ाए जाते थे, उन्हें तीसरे साल के कोर्स में जोड़ दिया गया है. इस पर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ रोहन कृष्णन कहते हैं कि कोरोना काल को देखते हुए रिवाइज्ड करिकुलम में वायरोलॉजी और माइक्रोबायलॉजी जैसे विषयों पर ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. इस साल से दाखिला लेने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए नैशनल एग्जिट टेस्ट भी जरूरी बना दिया गया है. यह MBBS फाइनल एग्जाम की तरह होगा और इसी के आधार पर पीजी कोर्सों में दाखिले होंगे.