नई दिल्ली। केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में सुधार को लेकर गंभीर है, जिसके तहत केंद्र के वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने वर्ष 2021-22 में बिजली क्षेत्र में निर्धारित सुधारों को पूरा करने के लिए 10 राज्यों को 28,204 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी की अनुमति दी है। बिजली क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में राज्यों को दी गई अतिरिक्त उधारी का आने वाले दिनों में असर दिखेगा। जिन राज्यों को उधारी की अनुमति दी गई है, उनमें आंध्र प्रदेश को 3,716 करोड़, असम को 1,886, हिमाचल प्रदेश को 251, मणिपुर को 180, मेघालय को 192, ओडिशा को 2,725, राजस्थान को 5,186, सिक्किम को 191, तमिलनाडु को 7,054 और उत्तर प्रदेश को 6,823 करोड़ की उधारी की अनुमति दी गई है। अधिकारियों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर, वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक चार साल की अवधि के लिए बिजली क्षेत्र में राज्यों द्वारा किए गए सुधारों के आधार पर हर साल राज्यों को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.5 प्रतिशत तक अतिरिक्त उधार देने का निर्णय लिया था, जिसके तहत केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी। अधिकारियों के मुताबिक बिजली क्षेत्र में सुधार करने के लिए अतिरिक्त उधार अनुमति के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन देने का उद्देश्य क्षेत्र की परिचालन और आर्थिक दक्षता में सुधार करना और सशुल्क बिजली की खपत में अनवरत बढ़ोतरी को बढ़ावा देना है। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश और अंकन मानदंड व्यय विभाग द्वारा 09 जून 2021 को जारी किए गए थे।
बिजली क्षेत्र के सुधारों से जुड़े अतिरिक्त उधार की संभावना का लाभ उठाने के लिए, राज्य सरकारों को कुछ अनिवार्य सुधारों और निर्धारित प्रदर्शन को भी पूरा करना था, जिसके तहत राज्यों द्वारा जो सुधार किए गए थे, उनमें सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के नुकसान के लिए जिम्मेदारी की प्रगतिशील धारणा, बिजली क्षेत्र के वित्तीय मामलों की रिपोर्टिंग में पारदर्शिता जिसमें सब्सिडी का भुगतान और सरकार का डिस्कॉम के प्रति और डिस्कॉम का अन्य के प्रति देनदारियों की रिकॉर्डिंग शामिल होने के साथ ही वित्तीय और ऊर्जा खातों का समय पर प्रस्तुतिकरण और समय पर लेखा परीक्षण और कानूनी और नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन समेत कई अन्य सुधार शामिल रहे।