बिरसा नगर में जमीन के अवैध कारोबार ने कईयों का खेल बिगाड़ दिया है अवैध कारोबार के इस दलदल में नेता वकील पुलिस आज के कथित बुद्धिजीवी वर्ग अपराधी सभी इस दलदल में किसी न किसी रूप में जरूर फंसे हैं जमीन के इस अवैध कारोबार ने कई थानेदारों की कुर्सी भी हिला दी है क्षेत्र में भू माफियाओं की इतनी चलती है कि जो भी उनकी नहीं सुनता उसे चलता कर दिया जाता है कई बार तो देखा गया है कि बिरसानगर के थानेदारों को भी इन माफियाओं की सुननी पड़ती है अन्यथा तबादले तक करवा दिए जाते हैं पिछले वर्ष बिरसा नगर के तत्कालीन थानेदार भूषण कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था भूषण कुमार ने अमूल्य कर्मकार की बढ़ती दादागिरी और माफियाओं के साथ सांठगांठ को पकड़ लिया था यही वजह था कि उन्होंने अमूल्य कर्मकार के खिलाफ तड़ीपार की अनुशंसा एसएसपी से की थी लेकिन कार्रवाई के बदले थानेदारी चली गई हालात इतने बिगड़े की अधिवक्ता की हत्या हो गई उल्लेखनीय है कि बिरसा नगर में जमीन के अवैध कारोबार पर नकेल लगाने की कोशिश बहुत पहले धालभूम के तत्कालीन एसडीओ और जिले के वर्तमान डीसी सूरज कुमार ने की थी पूरे क्षेत्र की अतिक्रमण जमीन को चिन्हित किया गया था प्रशासन की ओर से कार्रवाई की तैयारी कर ली गई थी इसी बीच सूरज कुमार प्रोन्नति पाकर डीडीसी बना दिए गए और नए एसडीओ ने इस पूरी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया लोग तो बहुत सारी बातें हैं कहते हैं लेकिन जाहिर तौर पर यह समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचार का लेप हर जगह लगा है हमाम में सभी नंगे हैं भ्रष्टाचार की जांच ने किसी को बक्सा नहीं है बिरसा नगर के इलाके का अवैध जमीन कारोबार से भले ही सरकार और प्रशासन पल्ला झाड़ रहा हो लेकिन सच्चाई गंभीरता से जांच करने के बाद ही पता चलेगी क्षेत्र के विधायक सरयू राय ने कई सवालों के एक ही जवाब दिए कि पूरे मामले की अगर सीबीआई जांच करा दी जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा यह छोटी सी बात नहीं है उन्होंने एक ही बात में बहुत कुछ कह दिया है जिसको केवल समझा जा सकता है बहुत सी बातें कही नहीं जाती हैं राय जी के इस बयान ने प्रमाणित किया है समय रहते अगर जिला प्रशासन और सरकार सचेत नहीं हुई तो बिरसानगर में जमीन माफियाओं का खूनी खेल जारी रह सकता है यह भी जान लें कि क्षेत्र में कई पुलिस उपाधीक्षक थानेदारों वकीलों शिक्षकों पत्रकारों के भी मकान हैं