जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है
ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं
भक्ति* *पथ नहीं है बल्कि भक्ति* *लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त* *करना है
जमशेदपुर 31दिसंबर 2022
जमशेदपुर से हजारों की संख्या में आनंद मार्गी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे है
1 जनवरी विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन के पूर्व में सेंट्रल जागृति हॉल में आनंदमार्गीयों के जनरल बॉडी मीटिंग के दौरान आनंद मार्ग प्रचारक संघ के महासचिव आचार्य चितस्वरूपानंद अवधूत ने
कहा कि
“जीवन का लक्ष्य ” विषय पर कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं – ज्ञान ,कर्म और भक्ति। परंतु उन्होंने कहा कि बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि *भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है* साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि *जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है।* ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। और बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। मोक्ष प्राप्ति के उपाय में भक्ति श्रेष्ठ है भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है
भक्तों बंद होने पर भक्तों की विजय होती है। भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं की मैं भक्तों के साथ रहता हूं जहां वे मेरा गुणगान करते हैं कीर्तन करते हैं *परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।*