Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
      • दैनिक ई-पेपर
      • ई-मैगजीन
      • साप्ताहिक ई-पेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें
    Breaking News Headlines मेहमान का पन्ना

    काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें

    News DeskBy News DeskMay 15, 2025No Comments5 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Oplus_0
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    अंक नहीं, असल काबिलियत की पहचान

    अंक केवल एक व्यक्ति की किताबी जानकारी का प्रमाण होते हैं, न कि उसकी असल क्षमता का। असली काबिलियत जीवन की समस्याओं को हल करने, नई चीजें सीखने और परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता में होती है। हमें बच्चों को केवल अंकों की दौड़ में शामिल करने के बजाय उनकी व्यक्तिगत रुचियों, प्रतिभाओं और आत्मनिर्भरता को पहचानने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

    -प्रियंका सौरभ

    बच्चों की शिक्षा का विषय हमेशा से ही समाज का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। माता-पिता और शिक्षक, दोनों ही बच्चों की सफलता के लिए चिंतित रहते हैं, लेकिन कई बार यह चिंता एक दबाव का रूप ले लेती है। विशेष रूप से अंक या ग्रेड के मामले में, यह दबाव बच्चों की मानसिक सेहत पर गहरा असर डाल सकता है। इस लेख में हम इस मुद्दे की जड़ तक जाने की कोशिश करेंगे कि कैसे अंक और काबिलियत की वास्तविक परिभाषा के बीच के अंतर को समझना और स्वीकारना आवश्यक है।

    अंक बनाम काबिलियत: एक बुनियादी भेद अक्सर माता-पिता अपने बच्चों से अपेक्षा करते हैं कि वे हर विषय में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करें। वे यह मानते हैं कि अच्छे अंक अच्छे भविष्य की गारंटी हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि अंक केवल एक व्यक्ति की किताबी जानकारी का प्रमाण होते हैं, न कि उसकी असल क्षमता का। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जिसे कला, संगीत, खेल या तकनीकी कौशल में रुचि है, वह संभवतः गणित या विज्ञान में उतने अच्छे अंक न ला पाए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कम लायक है। काबिलियत का अर्थ केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन में समस्याओं को हल करने की क्षमता, नई चीजें सीखने का जज़्बा और परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता है।

    अंक प्रणाली का वास्तविक प्रभाव हमारे शिक्षा प्रणाली का ढांचा अभी भी पारंपरिक मानदंडों पर आधारित है, जहां अंकों को सफलता का एकमात्र पैमाना माना जाता है। इससे बच्चों में असुरक्षा और आत्म-संकोच की भावना विकसित होती है। कई बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे न उतर पाने के डर से मानसिक तनाव का सामना करते हैं। यह मानसिक दबाव उनकी आत्म-छवि और आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही, यह न केवल बच्चों की पढ़ाई पर बल्कि उनके सामाजिक संबंधों और मानसिक सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बच्चों में आत्मनिर्भरता और आत्म-विश्वास की भावना तभी विकसित होती है जब उन्हें बिना भय और दबाव के सीखने का अवसर मिले।

    कैसे अंक प्रणाली बच्चों की रचनात्मकता को दबाती है अंक प्रणाली न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि बच्चों की रचनात्मकता और खोज की क्षमता को भी सीमित करती है। वे अपनी मौलिक सोच और रचनात्मकता को छोड़कर केवल अंकों की दौड़ में शामिल हो जाते हैं। यह समस्या केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में देखी जा रही है, जहां छात्रों को एक निर्धारित पाठ्यक्रम में ढालने का प्रयास किया जाता है, बिना उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा को पहचानने की कोशिश किए। इसके परिणामस्वरूप, कई बच्चे अपनी वास्तविक क्षमता और रुचियों को पहचानने में विफल रहते हैं, जो कि उनके जीवन में दीर्घकालिक असंतोष का कारण बन सकता है।

    समाज का नज़रिया और दबाव समाज का नज़रिया भी इस समस्या का एक बड़ा कारण है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करने लगते हैं। यह तुलना बच्चों में हीन भावना और जलन पैदा कर सकती है। साथ ही, यह उनके आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है। बच्चों को यह महसूस होने लगता है कि उनकी पहचान केवल उनके अंकों से ही मापी जाती है, न कि उनके चरित्र, कौशल और मानवीय मूल्यों से। बच्चों का मानसिक विकास तभी संभव है जब उन्हें बिना किसी भय और दबाव के सीखने का अवसर मिले।

    परिवर्तन की आवश्यकता हमें शिक्षा के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि एक समझदार, सशक्त और नैतिक नागरिक का निर्माण करना होना चाहिए। इसके लिए हमें अंकों से परे जाकर बच्चों की असल काबिलियत को पहचानने और उसे प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। हमें यह समझना होगा कि हर बच्चा अद्वितीय है और उसकी रुचियां, क्षमताएं और सपने भी अलग हैं।

    बच्चों को समर्थन दें, दबाव नहीं माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को प्रेरित करें, न कि उन पर अनावश्यक दबाव डालें। हर बच्चा अनोखा होता है, उसकी सोच, रुचि और क्षमता भी अलग होती है। हमें चाहिए कि हम उन्हें अपने सपनों को पूरा करने की आजादी दें, न कि केवल समाज के तय किए गए मापदंडों पर खरा उतरने का बोझ डालें। बच्चों के साथ संवाद करें, उनकी समस्याओं को समझें और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका दें। केवल अच्छे अंक लाने पर ही नहीं, बल्कि एक अच्छे इंसान बनने पर ध्यान केंद्रित करें। उन्हें जीवन के हर पहलू में सफलता पाने का आत्मविश्वास दें।

    अंक जीवन का एक छोटा हिस्सा हैं, लेकिन असल काबिलियत और नैतिकता जीवन का असली मूल्य है। इसलिए हमें चाहिए कि हम बच्चों को केवल अच्छे अंक लाने के लिए नहीं, बल्कि एक अच्छे इंसान बनने के लिए प्रेरित करें। बच्चों की पहचान उनके अंकों से नहीं, बल्कि उनके विचारों, कर्मों और चरित्र से होनी चाहिए। बच्चों की असली पहचान उनके भीतर छुपी क्षमताओं, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता में होती है। यही वास्तविक शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए। जीवन केवल अंकों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण और सकारात्मक सोच से भरा हुआ होना चाहिए।

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleराष्ट्र संवाद हेडलाइंस
    Next Article लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    Related Posts

    नए सीजेआई जस्टिस बी.आर. गवई के छोटे कार्यकाल की बड़ी चुनौतियां

    May 15, 2025

    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    May 15, 2025

    राष्ट्र संवाद हेडलाइंस

    May 15, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    नए सीजेआई जस्टिस बी.आर. गवई के छोटे कार्यकाल की बड़ी चुनौतियां

    लावारिस मिलती नवजात बच्चियाँ: झाड़ियों से जीवन तक

    काबिलियत और अंक: दोनों में फर्क समझें

    राष्ट्र संवाद हेडलाइंस

    बिहार के दरभंगा में राहुल गांधी के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी गई: कांग्रेस

    ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ अब भी जारी है, विपक्ष को ‘अवांछित’ सवाल नहीं उठाने चाहिए : भाजपा

    छत्तीसगढ़ में 21 दिन चले नक्सल विरोधी अभियान में 31 नक्सली मारे गए, 18 जवान भी घायल

    बैकुंठ शुक्ल की पुण्यतिथि पर नमन परिवार ने दीं श्रद्धांजलि

    ऑपरेशन सिंदूर की गौरवगाथा और भारतीय सेना के पराक्रम को समर्पित विशाल तिरंगा यात्रा की सभी तैयारियां हुई पूरी

    चौकीदार नियुक्ति हेतु शारीरिक माप (दौड़) परीक्षा के प्रथम दिन फतेहपुर, कुंडहित एवं नाला के सफल अभ्यर्थी शारीरिक परीक्षण में हुए सम्मिलित,कुल 584 अभ्यर्थियों में से 31 रहे अनुपस्थित

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.