चन्दन शर्मा की रिपोर्ट
भगवानपुर ,बेगूसराय :रामविलास सिंह महाविद्यालय तेयाय के इतिहास परिषद द्वारा ‘भारतीय राष्ट्रवाद कि पुनरव्याख्या ‘ विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार के मुख्य वक्ता मिथिला इतिहास संस्थान के निर्देशक प्रोफेसर धर्मेन्द्र कुंवर थे. सेमिनार के शुरुआत में आए हुए अतिथियों के द्वारा राम विलास सिंह कि प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया एवं दीप प्रज्जवलित कर इसका विधिवत उद्घाटन किया गया. कॉलेज के प्राचार्य गाजी सलाउद्दीन ने आए हुए अतिथियों का स्वागत पाग एवं चादर से किए. विषय प्रवेश इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष अरुण कुमार किए. सेमिनार के विशिष्ठ वक्ता प्रोफेसर देवकी नंदन व्यास भारतीय राष्ट्वाद को पूर्णतः भारतीय मानते हुए इसके उदभव को वेदों एवं पुराणों कि देन बताए. वहीँ दूसरे वक्ता डॉ सुशांत भास्कर (शोधार्थी, मिथिला इतिहास संस्थान दरभंगा ) ने भारतीय इतिहास लेखन पे जोड़ देते हुए राष्ट्रवाद के विभिन्न चरणों के विकास पर जोड़ दिया. उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद को फूलों का गुलदस्ता बताया. जबकि मुख्य वक्ता प्रोफेसर धर्मेन्द्र कुंवर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद कि असफलता ने धर्म आधारित राष्ट्रवाद के उदय में प्रमुख भूमिका अदा किया. उन्होंने वर्तमान राष्ट्रवाद कि टकराहट को इसी परिपेक्षय में रेखांकित करते हुए विस्तार पूर्वक बताया कि कैसे हिन्दू राष्ट्रवाद का भारत में उदय हुआ. उन्होंने समस्या के समाधान के लिए मध्यम मार्ग को अपनाने पे जोड़ दिए. अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर राजकुमार ईश्वर किए. महाविद्यालय के छात्रों ने स्वागतगान एवं विदाई गान प्रस्तुत किए. सेमिनार में अतिथि के रूप में महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर अभिलाष दत्त, रामानुज चौधरी एवं डॉ नीरज कुमार के साथ अन्य प्रोफेसर भी उपस्थित थे.