देवानंद सिंह
डॉक्टर के पेशे को सबसे अधिक मानव सेवा वाला पेशा कहा जाता है। इसीलिए डॉक्टर को भगवान स्वरूप भी माना जाता है। इतना महत्वपूर्ण पेशा होने की वजह से लोग डॉक्टरों की बहुत इज्जत करते हैं, लेकिन जब इस पेशे से जुड़े कुछ लोग पेशे की आड़ में गलत काम करने लगे तो उनसे लोगों का भरोसा टूटने लगता है। झारखंड के दो डॉक्टरों के इसी तरह के काले कारनामों ने भगवान स्वरूप पेशे पर दाग लगा दिया है। दरअसल, डिमना रोड स्थित स्मृति सेवा सदन के डॉक्टर सुशील शर्मा, झोलाछाप डॉक्टर आईएन चौधरी के पटमदा स्थित परिवार सेवा क्लिनिक में जाकर गर्भपात कराते थे।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, उपायुक्त विजय जाधव, सिविल सर्जन डॉक्टर साहिर पाल, डॉक्टर विमलेश की सराहनीय पहल ने इनके भ्रूण हत्या से जुड़े गोरखधंधे का पर्दाफाश करा दिया। परिवार सेवा क्लिनिक से मिले सामान से इस बात की तस्दीक साफ होती है कि ये लोग किस तरह इस गोरखधंधे में लिप्त थे। ये तथ्य काफी हैरान करते हैं कि परिवार सेवा क्लिनिक में 50 कार्टून गर्भपात, बेहोशी व अन्य नशीली दवाइयां डॉक्टर शर्मा के हैं। बकायदा यह बयान डॉक्टर आईएन चौधरी ने विगत मंगलवार को हुई छापेमारी के दौरान लिखित रूप से स्वाथ्य विभाग व प्रशासन की संयुक्त टीम को दिया है। वहीं, छापेमारी के दौरान जांच टीम ने डॉक्टर अभिषेक चाइल्ड केयर एंड मेटरनिटी एंड ज्योति आईवीएफ सेंटर में गर्भपात कराए गए 113 मरीजों का प्रिस्क्रिप्शन भी बरामद किया था। जिस तरह से इस मामले में कड़ी-दर-कड़ी खुलासे हो रहे हैं, उससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें और भी कई कड़ियां जुड़ी हुईं हैं, जिसमें और भी कई लोग शामिल होंगे। ये चेहरे भी धीरे-धीरे बेनकाब होंगे, जिसमें जमशेदपुर के 2 बड़े डॉक्टर भी बेनकाब होगें। किस तरह से डॉक्टरों की एक बड़ी टोली इस तरह के गोरखधंधे चलाकर करोड़ों रुपए बना रहे थे। भारी मात्रा में बरामद सामान और लाखों रुपए की नकदी इस बात की तस्दीक कर रही है। उधर,
पटमदा में इंद्रजीत नील के क्लीनिक से भी कई आपत्तिजनक सामान भी बरामद हुए हैं, जबकि इंद्रनील चौधरी को जेल भेज दिया गया है, लेकिन जिस तरह स्थानीय प्रशासन द्वारा जांच टीम को सहयोग नहीं किए जाने की बात सामने आई है, यह भी हैरान करने वाली बात है। निश्चित तौर पर इससे यह
बात साबित होती है कि इस तरह के गोरखधंधे के चलने के पीछे कहीं-न-कहीं प्रशासनिक अधिकारियों का भी सपोर्ट रहा होगा। लिहाजा, प्रशासनिक अमले से जुड़े ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की भी पहचान होनी चाहिए और इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जबकि भ्रूण हत्या के मामलों में संलिप्त डॉक्टरों खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।
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