सिस्टम और सिस्टम के ठेकेदारों पर सीधा प्रहार फिल्म- कटहल
कटहल फिल्म को डायरेक्टर यशोवर्धन मिश्रा ने बनाया है. उन्होंने अब तक अपने करियर में ज्यादा फिल्में नहीं बनाई हैं लेकिन अपने करियर की शुरुआत में ही उन्होंने लोगों को हल्के-फुल्के मनोरंजन के साथ समाज का आईना दिखा दिया है. फिल्म के जरिए उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. इस फिल्म को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं और इसकी तारीफ करते नजर आ रहे हैं.
नेटफ्लिक्स पर सान्या मल्होत्रा की फिल्म कटहल को आए हुए अभी दो हफ्ता हुआ है और फिल्म की चर्चा हर तरफ देखने को मिल रही है. ये कहानी सिर्फ आज के दौर की नहीं है बल्कि ये कहानी बताती है कि कैसे लोकतंत्र को दशकों से ठगा गया है और कुर्सी पर विराजमान कुछ नेताओं ने इसे अपनी जागीर बना लिया.
कटहल मूवी में पुलिसवालों को ठीक वैसे ही दिखाया गया है जैसा काम वास्तविकता में ग्राउंड लेवल पर किया जाता है. अगर आप थाने में शिकायत लिखाने जाओ तो पुलिस वालों के ट्रीट करने का अंदाज, केस को हल्के में लेना या उसकी अनदेखी करना या फिर मासूम जनता को गोल-गोल घुमाना आम बात है.
अब इससे बड़े दुर्भाग्य की बात भला और क्या हो सकती है कि फिल्म में जब माली अपनी बेटी के गुमशुदगी की शिकायत लिखाने जाता है तो उसे पूरी तरह से इग्नोर कर दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ उसी माली के मालिक का गुम हुआ कटहल पुलिसवालों के सिर का दर्द बना हुआ है. प्राथमिकता यहां साफतौर पर देखी जा सकती है.
फिल्म में राजपाल यादव ने एक न्यूज रिपोर्टर का रोल प्ले किया है. इस फिल्म में जिन जरूरी मुद्दों पर प्रहार किया गया है उसमें मीडिया भी शामिल है. किस तरह से मीडिया के इस दौर में कवरेज हो रही हैं और जिन मुद्दों को प्रायॉरिटी दी जा रही है वो आम जनता से छिपा नहीं है. राजपाल यादव का किरदार भी दुनियाभर की बड़ी खबरें छोड़ एक विधायक के अंकल हॉन्ग कटहल के गुम होने को सनसनी बना देता है.