सूर्य मंदिर की घटना का जिम्मेदार कौन?
अमन कुमार
और आखिरकार पूर्वी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर रण क्षेत्र बन ही गया आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम को लेकर पूर्व से चली आ रही तनातनी आखिरकार कमोवेश खूनी संघर्ष में तब्दील हुआ कार्यक्रम स्थल के दौरा करने पर जो बातें उभर कर सामने आ रही है उससे साफ लग रहा है कि कहीं ना कहीं चूक हुई है चाहे उसे प्रशासनिक राजनीतिक या पुलिसिया चुक का ही नाम क्यों न दे इन सबके बीच अगर सबसे बेवस कोई दिख रहा है तो वह है सिदगोड़ा थाना के पुलिसकर्मी पदाधिकारी
जमशेदपुर के सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर परिसर में छठ पर्व के आयोजन को लेकर विधायक सरयू राय और पूर्व विधायक सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास खेमा में तनातनी हो गयी. दोनों के बीच जमकर मारपीट हो गयी है. इन दोनों गुटों के बीच हुई मारपीट में पांच लोग घायल हो गये है, जिसमें सरयू राय और रघुवर दास गुट के लोग शामिल है.
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बताया जाता है कि इसके बाद पुलिस फोर्स को वहां तैनात कर दिया गया है और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इस दौरान जमकर तोड़फोड़ भी हुई है, जिसके बाद प्रशासन सकते में पड़ गयी है. बताया जाता है कि सरयू राय गुट के लोगों ने सिदगोड़ा सूर्य मंदिर में छठ व्रतियों के लिए एक शिविर लगाया था, जो रघुवर दास गुट के कार्यक्रम स्थल से सटा हुआ था. इस दौरान काफी देर तक दोनों ओर से तनातनी होती चली गयी. बाद में अचानक से कुछ लोग अंदर आये और तंबू को उखाड़कर फेंक दिया. इसके बाद सरयू राय की पार्टी भारतीय जनतांत्रिक मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुबोध श्रीवास्तव व रघुवर गुट के बीच हाथापाई चालू हो गई सरयू राय गुट के लोगों ने भी कार्रवाई की और मारपीट दोनो ओर से हो गयी, जिसमें कई लोग घायल हो गये. खुद सुबोध श्रीवास्तव घटना में घायल हो गये है. सूर्य मंदिर में गायिका का कार्यक्रम कराने के लिए रघुवर दास गुट की ओर से आवेदन दिया गया था. जमशेदपुर अक्षेस में विधायक सरयू राय के गुट का भी आवेदन था कि वे लोग चाहते है कि व्रतियों के रात में ठहराव का इंतजाम करें और शिविर लगायी जाये, लेकिन प्रशासन ने कोई फैसला नहीं लिया.
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इसके बाद दोनों गुट खुद से ही आयोजन कराने में लग गये. इस बीच सरयू राय गुट ने भी अपना तंबू लगा दिया. इसके बाद यह मामला विवाद का रुप ले लिया. इस दौरान सरयू राय के कभी साथ रहे चंद्रगुप्त सिंह रघुवर दास गुट के साथ नजर आये.
बहरहाल थाने पर दोनों पक्ष मौजूद जिला प्रशासन और पुलिस भी मुस्तैद है मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन कुछ कड़े निर्णय ले सकती हैं पर सवाल वही का वही इस घटना का जिम्मेदार कौन? या फिर मान लिया जाए की राजनीति का गिरता स्तर इस घटना का जिम्मेदार है