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    Home » कानून मंत्री रिजिजू का बड़ा बयान, बोले- न्यायपालिका में अंदरूनी राजनीति, वहां मतभेद और गुटबाजी, पारदर्शिता भी नहीं
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    कानून मंत्री रिजिजू का बड़ा बयान, बोले- न्यायपालिका में अंदरूनी राजनीति, वहां मतभेद और गुटबाजी, पारदर्शिता भी नहीं

    Devanand SinghBy Devanand SinghOctober 19, 2022No Comments3 Mins Read
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    नई दिल्ली. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि न्यायपालिका की कार्यवाही पारदर्शी नहीं है. वहां बहुत राजनीति हो रही है. यह पॉलिटिक्स बाहर से दिखाई नहीं देती है, लेकिन यहां बहुत मतभेद हैं और कई बार गुटबाजी भी देखी जाती है. रिजिजू ने कहा कि अगर जज न्याय देने से हटकर एक्जीक्यूटिव का काम करेंगे तो हमें पूरी व्यवस्था का फिर से आंकलन करना होगा.

    अहमदाबाद में आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य की तरफ से आयोजित कार्यक्रम साबरमति संवाद में पहुंचे रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम भी राजनीति से अछूता नहीं है. देश में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव लाने की जरूरत है.

    जज न्याय देने की बजाय दूसरे कामों में व्यस्त

    रिजिजू ने कहा कि संविधान के मुताबिक, जजों की नियुक्ति करना सरकार का काम है, लेकिन 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने कॉलेजियम सिस्टम शुरू कर दिया. दुनियाभर में कहीं भी जज दूसरे जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं. जजों का मुख्य काम है न्याय देना, लेकिन मैंने नोटिस किया है कि आधे से ज्यादा समय जज दूसरे जजों की नियुक्ति के बारे में फैसले ले रहे होते हैं. इससे न्याय देने का उनका मुख्य काम प्रभावित होता है.

     

    रिजिजू ने कहा कि संविधान सबसे पवित्र दस्तावेज है. इसके तीन स्तंभ हैं- विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका. मुझे लगता है कि विधानमंडल और कार्यपालिका अपने कर्तव्य को लेकर बंधे हुए हैं और न्यायपालिका उन्हें बेहतर बनाने का काम करती है. लेकिन परेशानी की बात यह है कि जब न्यायपालिका अपने कर्तव्य से भटक जाती है तो उसे सुधारने का कोई रास्ता नहीं है.

     

    बीजेपी ने कभी न्यायपालिका कामकाज में दखल नहीं दिया

    रिजिजू ने कहा- भारत में गणतंत्र जीवंत है और कई बार इसमें तुष्टिकरण की राजनीति भी देखी जा सकती है. भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कभी न्यायपालिका को कभी कमतर नहीं समझा और न कभी इसे चैलेंज करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि हम ऐसे काम नहीं करते हैं. अब अगर हम न्यायपालिका को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाते हैं, तो यही लोग कहेंगे कि हम न्यायपालिका को कंट्रोल या प्रभावित करना चाहते हैं या जजों की नियुक्ति में दखल देना चाहते हैं. रिजिजू ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान तीन वरिष्ठ जजों को हटाकर अगले जज को सीजेआई बनाया गया था. मोदी सरकार ऐसे कामों में दखल नहीं देती है.

     

    न्यायपालिका में सेल्फ रेगुलेटरी मैकेनिज्म हो

    रिजिजू ने न्यायपालिका के अंतर्गत एक सेल्फ-रेगुलेटरी मैकेनिज्म की मांग की है जिससे जजों के तौर-तरीकों को नियंत्रित किया जा सके. रिजिजू ने कहा- मैंने कई मौकों पर देखा है कि कई जज बिना जमीनी हकीकत जाने अपनी ड्यूटी की सीमा से बाहर जाकर एक्जीक्यूटिव फंक्शन करने की कोशिश करते हैं.

    जब न्यायपालिका अपनी सीमा के बाहर जाती है तो जज वास्तविक समस्याओं और आर्थिक हालात से अनजान रहते हैं. बेहतर होगा कि जज अपनी-अपनी ड्यूटी पर ध्यान दें, वरना लोगों को ऐसा लग सकता है कि हम कार्यपालिका में एक्टिविज्म कर रहे हैं. रिजिजू ने कहा कि चाहे सांसद हो या जज, सभी के पास विशेष अधिकार हैं. संसद में कोड ऑफ एथिक्स है, लेकिन न्यायपालिका में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. जजों के आचरण को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका के तहत ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.

     

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