अजमेर. उदयपुर मर्डर केस के बाद विवादित बयानों से ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में पहुंचने वाले जायरिनों की संख्या में असर पड़ा है. जायरिनों की घटती संख्या से यहां के बाजारों में मंदी देखी जा रही है. व्यापारी बताते हैं की उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड और उसके बाद आये विवादित बयानों के बाद उनके कारोबार में 60 फीसदी तक की गिरावट आ गई है. खासतौर से दरगाह के इर्द गिर्द बसे दरगाह बाजार, नला बाजार और दिग्गी बाजार के व्यापारियों का हाल बहुत बुरा है. पिछले एक पखवाड़े से यहां के बाजार खरीदारों के लिये तरस रहे हैं. इससे व्यापारी वर्ग खासा चिंतित है.
यहां जगत पिता ब्रह्मा का मंदिर है तो महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह भी है. ऐसे में यहां का कारोबार पूरी तरह से धार्मिक पर्यटन पर निर्भर है. इन बाजारों के व्यापारी पूरी तरह से जायरीन पर निर्भर रहते हैं. उदयपुर में हुई घटना के बाद अजमेर से एक के बाद एक आए तीन विवादित बयानों ने जायरिनों की आवक घटा दी है. जहां पैर रखने की जगह नहीं होती है. वहां अब खालीपन नजर आ रहा है. इसका सीधा असर यहां के व्यापार और व्यापारियों पर पड़ रहा है.
दरगाह बाजार में अधिकतर व्यापारियों ने दुकानें किराये पर ले रखी हैं. पिछले एक पखवाड़े से यहां जिस तरह का माहौल बना और बनाया गया उससे दुकानों का किराया तथा मजदूरों की तनख्वाह निकालना भारी पड़ रहा है. व्यापारी बताते हैं की ख्वाजा गरीब नवाज की हर महीने होने वाली महाना छठी पर जहां 30 हजार के करीब लोग अजमेर आते थे वहीं इस बार उनकी संख्या महज 3 हजार में ही सिमटकर रह गई.
दरगाह बाजार के होटल और गेस्ट हाउस खाली पड़े हुए हैं. इधर खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती भी मानते हैं कि लोगों संख्या पर असर पड़ा है. अब डैमेज कंट्रोल के लिए अंजुमन कमेटी की और से सर्वधर्म रैली निकाली जाएगी. इसमें सभी धर्मों के धर्मगुरु शामिल होंगे और लोगो में वापस से विश्वास कायम किया जाएगा. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह से पूरी दुनिया में अमन, चैन, शांति और सौहार्द्र का संदेश जाता है. लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों की ओर से दिये गये विवादित बयानों के बाद बदले हालत ने यहां की फिजा ही बदल दी है.