*भारतीय होम्योपैथी के जनक थे बाबू राजेंद्र लाल दत्ता :- होम्योपैथ रहमतुल्लाह रहमत*
द हैनिमेनियन होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर जामताड़ा द्वारा भारतीय होम्योपैथी के जनक बाबू राजेंद्र लाल दत्ता जी की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर सेंटर के रिसर्च प्रमुख होम्योपैथ रहमतुल्लाह रहमत ने कहा कि बाबू राजेंद्र लाल दत्ता जी पहले एलोपैथिक डॉक्टर थे बाद में उन्होंने एलोपैथी को अलविदा कहते हुए होम्योपैथी की तरफ रुख किया और 1864 ईस्वी में कोलकाता में एक चैरिटेबल होम्योपैथिक डिस्पेंसरी खोली ।
उन्होंने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा सर राधाकांत देव ,श्री रामकृष्ण परमहंस जैसी महान हस्तियों का इलाज किया।
उन्होंने कहा कि 1850 के दशक में पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर माइग्रेन से खूब पीड़ित थे । बाबू राजेंद्र लाल दत्ता से इलाज करवाने के बाद जब विद्यासागर जी अच्छे हो गए तो उन्होंने अपने छोटे भाई ईशान चंद्र को होम्योपैथी का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया । दोनों भाइयों ने मिलकर अपने पैतृक गांव वीरसिंह के लोगों का इलाज करना शुरू किया जो अब बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में है ।
बाद में विद्यासागर जी 1873 से लेकर 1891 तक करमाटांड़ में चिकित्सकीय सेवा प्रदान करते रहे और उनके भाई ईशान चंद्र जी 1903 ईस्वी तक अपने गांव में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से सेवा करते रहे। दोनों भाइयों का लगाव बाबू राजेंद्र लाल दत्ता से बराबर बना रहा ।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने बाबू राजेंद्र दाल दत्ता जी के बारे में अपने भतीजे परेशनाथ बंदोपाध्याय को बताया और उन्हें होम्योपैथिक शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी ।
महर्षि परेश नाथ बनर्जी ने 1910 ईस्वी में विद्यासागर कॉलेज से बीएससी और 1912 ईस्वी में एमएससी की पढ़ाई की । उन्होंने होम्योपैथिक अध्ययन में खूब रुचि लिया और 1916 ईस्वी में मिहिजाम में होम्योपैथिक चिकित्सा शुरू की।
होम्योपैथ रहमत ने कहा कि इस तरह भारतीय होम्योपैथी के जनक बाबू राजेंद्र लाल दत्ता जी की चिकित्सा प्रणाली कोलकाता से होकर जामताड़ा तक पहुंचती है। उन्होंने कहा कि बाबू राजेंद्र लाल दत्ता जी ने अनेक एलोपैथिक डॉक्टर को होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से अवगत कराया और उनका रूपांतरण होम्योपैथिक चिकित्सा की ओर किया । डॉ महेंद्र लाल सरकार को कौन नहीं जानता है, जो एलोपैथी के एक मशहूर डॉक्टर थे ।उनका रूपांतरण होम्योपैथी चिकित्सा की ओर करने का श्रेय बाबू राजेंद्र लाल दत्ता जी को ही है ।
उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को आम करें ताकि गरीब, असहाय, बेबस लोगों का कम खर्च में इलाज हो सके । यही बाबू राजेंद्र लाल दत्ता जी का अंतिम संदेश भी है । उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति एवम् इनके पायनियर्स के विचार को आम करना तथा द हैनिमैनियन होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर के माध्यम से रिसर्च स्कॉलर्स, स्टूडेंट्स एवं अन्य होम्योपैथिक संस्थान को मदद पहुंचाना है ।