राष्ट्र संवाद नजरिया : कोरोना से निपटने के बेहतर सरकारी प्रयासों के बीच सहयोगात्मक प्रयास जरूरी
देवानंद सिंह
कोरोना एक बार फिर चुनौती न बन सके, इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की और राज्यों ने क्या तैयारी की है, इसको लेकर aजानकारी ली, इससे एक बात साफ होती है कि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा अभी टलने वाला नहीं है, लिहाजा किसी तरह की लापरवाही के घातक परिणाम हो सकते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा ली गई वर्चुअल मीटिंग में, जिस तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया, उससे लगता है कि राज्य सरकार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हम सबने देखा कि कोरोना की पिछली दो लहरों के दौरान भी राज्य सरकार ने पूरी मुस्तैदी के साथ कार्य किया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की देखरेख में किए गए प्रयासों से राज्य कोरोना से बेहतरी से निपटने वाले टॉप राज्यों में शुमार रहा था। लिहाजा, इस बार भी ऐसी ही तैयारी के साथ राज्य सरकार आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री की बैठक में स्वयं मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में कोरोना की वर्तमान लहर में कहीं भी कोई अफरातफरी नहीं है। राज्य सरकार स्वास्थ्य संरचनाओं को मजबूत करने के साथ कोरोना से निपटने को लेकर लगातार बेहतर प्रबंधन कर रही है। तीसरी लहर को नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक और ठोस कदम राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं। स्कूल-कालेज, जिम, पार्क समेत वैसे सभी संस्थान और सार्वजनिक स्थल बंद कर दिए गए हैं, जहां से संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक है। वहीं, होम आइसोलेशन में रहने वाले संक्रमित की सतत निगरानी के साथ बेहतर उपचार और मेडिकल किट की व्यवस्था की तरफ भी जिस तरह राज्य सरकार जोर दे रही है, वह भी अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री ने आशंका जाहिर की कि कुछ ऐसे लोग जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं, उन्हें लगता है कि वे अब संक्रमित नहीं होंगे। इस वजह से सार्वजनिक स्थलों, बाजारों और सड़कों पर बिना एहतियात बरतें मूवमेंट करते रहते हैं। ऐसे लोगों में भी कुछ संक्रमित होते हैं, जो दूसरों को संक्रमित करने का काम कर रहे हैं। यह चिंता का विषय तो है, पर राज्य सरकार ऐसे मूवमेंट पर रोक लगाने के लिए भी प्रतिबद्ध दिख रही है, स्वयं मुख्यमंत्री ने यह सुझाव भी दिया कि इन लोगों की पहचान कर इनके मूवमेंट पर रोक लगाने के लिए व्यापक रणनीति बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर पहल करनी होगी, ऐसी स्थिति में संक्रमण को नियंत्रित करने में अधिक आसानी होगी। झारखंड में संक्रमण के ज्यादातर मामले राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों से आ रहे हैं। इसको लेकर भी निगरानी के साथ जांच की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने को लेकर भी मुख्यमंत्री ने गंभीरता बरतने पर जोर दिया है। इन सबके बीच टीकाकरण सबसे मुख्य मुद्दा है, क्योंकि टीकाकरण बढ़ाना बेहद जरूरी है, लेकिन झारखंड के लिए अच्छी बात यह है कि यहां टीकाकरण में तेजी आई है। हालांकि पिछड़ापन और भौगोलिक जटिलताओं के कारण झारखंड में टीकाकरण में थोड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन बेहतर रणनीति बनाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करने का कार्य तेज गति से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने इस बात से भी अवगत कराया कि राज्य में अब तक 80 प्रतिशत लोगों को पहली तथा 50 प्रतिशत को दोनों डोज का टीका लग चुका है। इसके अलावा 15 से 18 वर्ष के लगभग 22 प्रतिशत किशोरों ने टीके की पहली डोज ले ली है। टीकाकरण में तेजी लाने के लिए 150 मोबाइल टीकाकरण वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके माध्यम से सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में लोगों को टीका लगाने का काम हो रहा है। राज्य के लिए यह बहुत अच्छी बात है कि तीसरी लहर में किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। जहां तक स्वास्थ्य सुविधाओं की बात है, कोरोना के शुरुआती चरण में यहां के अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में महज 2500 बेड थे, जो आज बढ़कर 25000 हो गए हैं। इसके अलावा जिलों के साथ-साथ प्रखंडों में भी पीएसए आक्सीजन प्लांट लग चुके हैं। आक्सीजन कांसेंट्रेटर भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। राज्य में फिलहाल, लगभग 31 हजार सक्रिय मामले हैं। इनमें लगभग 1100 ही अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें से महज 250 मरीजों को ही आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी कि शासन की रणनीति को जमीनी स्तर पर लागू करने में अधिकारी गंभीरता दिखाएं और इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां भी सहयोग की भावना रखें और आम लोग भी सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें, तभी कोरोना के खिलाफ लड़ाई को आसानी से जीता जा सकेगा।