चन्दन सिंह की रिपोर्ट
सीतामढ़ी (बिहार) बिहार सरकार के अनुसार बिहार में पूर्ण शराबबंदी हैं। इसी के बीच सीतामढ़ी समाहरणालय के सामने से शराब की खाली बोतलें देखने को मिल रही हैं जो कि प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यशाली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता हैं । समाहरणालय के मेन गेट के बगल में शराब की खाली सैकड़ों बोतल शराबबंदी की असली तस्वीर बयाँ कर रही है। सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद शहर में शराब उपलब्ध होना शराबबंदी की विफलता की तरफ इशारा करता है। सीतामढ़ी पुलिस-प्रशासन का दावा रहता है कि जिले में कहीं भी शराब का कारोबार नहीं हो सकता है। जहां भी होता है, उसकी सूचना मिलते ही उसपर कार्रवाई की जाती है लेकिन यह बात सुनने योग्य मात्र रह गया हैं आप जहाँ भी चाहें जब चाहें शराब की बोतलें उपलब्ध हो जायेंगी । इस तरह की बात मैं नही करता बल्कि स्थानीय लोग बताते हैं ।
दरअसल पूरा मामला जिला मुख्यालय के मर्यादा पथ पर स्थित समाहरणालय मेन गेट गेट के बगल में फेंके गए कूड़ेदान में करीब सैंकड़ों शराब की खाली बोतलें बरामद हुई। स्थानीय लोगों की माने तो यहां हमेशा शराब की खाली बोतल पड़ी रहती हैं। लोगों का कहना है बिहार में जारी शराबबंदी पूरी तरह से फेल है। शराबबंदी पर मुख्यमंत्री बार बार समीक्षा बैठक करते रहते हैं लेकिन इसका कोई खास असर धरातल पर देखने को नही मिलता हैं । बिहार सरकार के कड़े कानून भी बने, लेकिन इसके बाद भी शराबबंदी का प्रभाव सीतामढ़ी जिले में नहीं दिख रहा है। जहां शराब माफियाओं और शराबी को पकड़ा जा रहा है। जिले में शराब पकड़े जाने या बोतलें मिलने का यह कोई नया मामला नही हैं इससे पूर्व भी शराब माफियों का इतना मनोबल बढ़ा हुआ था कि इसका शिकार मेजरगंज थाने में पदस्थापित शहीद दारोग दिनेश राम को झेलना पड़ा था जिससे शराब माफियाओं से हुई भिडंत में उनकी हत्या भी कर दी गयी थी ।
वहीं शहर के वीआईपी इलाकों की सड़कों पर शराब की बोतल पाई जा रही है। जिस जगह पर शराब की खाली बोतलें देखने को मिली है, वहां जिले के तमाम प्रशासनिक अधिकारी का ऑफिस है और उनका प्रतिदिन आना-जाना लगा रहता है। इतना ही नहीं, दो कदम की दूरी पर थाना भी है। लेकिन फिर भी इस तरह का दृश्य दिखना निश्चित रूप से प्रशासनिक अधिकारीयों व् पुलिस के कार्यशाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा हैं । अब देखना यह है अब भी प्रशासन नींद से जगती भी है या नही।