नवरात्रि में माता के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही व्रत भी रखा जाता है लेकिन ऐसे में कुछ ऐसे में भी भक्त हैं जो डायबिटीज से पीड़ित हैं, आपको बता दें कि डायबिटीज के मरीजों के लिए दिनभर भूखा रहना और तले-भुने पकवान खाना दोनों ही नुकसानदायक साबित हो सकते हैं.अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और उपवास रख रहे हैं तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी होंगी. ताकि शरीर में इंसुलिन का लेवल न बिगड़े और आपकी आस्था और विश्वास भी बने रहें.
डायबिटीज में व्रत के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
– डायबिटीज के मरीजों को व्रत के दौरान ज्याद देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए. कोशिश करें कि थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ लेते रहें, ताकि शरीर में ग्लूकोज का लेवल ठीक बना रहे.
– नवरात्रि का व्रत साबूदाना पापड़, टिक्की और तले हुए आलुओं से खोला जाता है लेकिन अगर आप डायबिटिक हैं, तो इन्हें ज़्यादा न खाएं.
– डायबिटीज के मरीजों को चाहिए कि व्रत के दौरान ज्यादा चाय-कॉपी न लें. वीकनेस महसूस होने पर नारियल पानी या छाछ ले सकते हैं.
– कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना ले सकते हैं. ताज़ा फल, सब्जियों और डायट्री फाइबर भी लें. ये शरीर और दिमाग को ऊर्जा देने का काम करते हैं.
– डायबिटीज के मरीजों को चाहिए कि व्रत में भुनी हुई मूंगफली, मखाना, पनीर, सिंघाड़ा, कद्दू का रायता, खीरे का रायता जैसी चीजें खा सकते हैं.
– डायबिटीज के जो मरीज इंसुलिन पर हैं, तो उन्हें व्रत रखने पर लो ब्लड-ग्लूकोज लेवल महसूस हो सकता है. इसलिए व्रत खोलने के बाद ऐसे लोग जरूरत से ज़्यादा खा भी लेते हैं.
एक या दो दिन का व्रत भी कर सकते हैं
नवरात्रि के 9 दिन तक भक्त मां दुर्गा की अराधना करते हैं, वो सुबह से शाम तक भूखे रहते हैं. फिर रात को मां का पूजन कर अपना व्रत खोलते हैं. उसके बाद व्रत का भोजन लेते हैं. जिसमें कुट्टू के आटे से बनी चीजें, आलू, सेंधा नमक, दही, फल आदि. इस दौरान अन्न व प्याज लहुसन का सेवन वर्जित होता है. बता दें कि विशेष परिस्थितियों (बीमारी होने या गर्भवती होने) में अगर पहले और अंतिम नवरात्रि का व्रत रखा जाता है, तो वो भी नवरात्रि के 9 उपवास रखने जितना ही फला देता है.