फादर स्टेन स्वामी के मिर्त्यु के बाद अब उनकी अस्थि के साथ राजनीतिक और धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है
भीमा गोरेगांव हिंसा व धर्मान्तरण गतिविधियों में शामिल 2018 से महाराष्ट्र के जेल में बंद फादर स्टेन स्वामी का मिर्त्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को जलाया गया, यह एक योजना के तहत किया गया कार्य ऐसा प्रतीत होता है क्योंकि ईसाई समुदाय में किसी की मृत्यु होने पर उनका पार्थिव शरीर को दफनाने की परंपरा है परंतु इस विचाराधीन कैदी फादर स्टेन स्वामी को क्यों दाह संस्कार किया गया ? अब उनकी अस्थि को सभी चर्च में रखकर धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है, ईसाई समुदाय में दाह संस्कार की परंपरा होती तो मदर टेरेसा के साथ ऐसा क्यों नहीं किया गया? यह एक सोची समझी साजिश के तहत ऐसा किया जा रहा है उनकी अस्थियों को गिरजाघर में रखकर और नगर में भ्रमण कराया जा रहा है फादर स्टेन स्वामी झारखण्ड में ऐसा क्यों कौन सा कार्य किये थे जिसको लेकर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है अब आदिवासी ईसाई नही बनना चाहते है उनको अब भर्मित करने के लिए फादर स्टेन स्वामी दाह संस्कार किया गया ऐसा प्रतीत होता है, जब कि सनातन परंपरा में अस्थि को भर्मण व नदी में प्रवाहित कराया जाता है परन्तु उस परम्परा के आड़ में मिशनरी अपना धर्मान्तरण का खेल खेल रही है। ताकि भोले भाले आदिवासियों को ये बताया जा सके कि हम उसी परम्परा का प्लान कर रहे है, परोक्ष रूप से राज्य सरकार भी इसमें शामिल है ऐसा प्रतीत होता है विश्व हिंदू परिषद प्रान्त प्रचार प्रसार प्रमुख संजय कुमार ने महामहिम राज्यपाल से मांग करता है इनकी अस्थि को अविलंब भ्रमण के पर रोक लगाये जाए, इन अस्थियों को चर्च में रखकर भोले-भाले ग्रामीण हिंदुओं का चर्च में बुलाकर प्रार्थना करवाने के बहाने धर्मान्तरण कराया जा रहा है,फादर स्टेन स्वामी अपने जीवन काल में केवल और केवल धर्मांतरण का कार्य किए हैं। उनके विरुद्ध एन आई ए के जांच में कई सबूत मिलने के बाद उनकी गिरफ्तारी की गई थी जो न्यायालय में अभी तक विचाराधीन है।