जामताड़ा: इस समय पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है और इसके साथ-साथ ऑक्सीजन के लिए भी तरस रहा है| लेकिन इन दिनों माफियाओं का इतना मनोबल बढ़ गया है कि वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है|हालांकि यह नहीं स्पष्ट है कि वनों की कटाई माफिया द्वारा की जा रही है या असामाजिक तत्वों द्वारा| गौरतलब है कि काफी संख्या में पेड़ कटे होने से माफियाओं द्वारा वनों की कटाई कहने से इनकार नहीं किया जा सकता है|मामला जामताड़ा जिला के कुंडहित प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कलिकापुर स्थित जंगल की बताइए जाती है| बताते चलें कालिकापुर में घने जंगल के बीच जगह-जगह पेड़ों की कटाई की गई है|थोड़ा-थोड़ा दूरी बाद पेड़ों की कटाई की गई है| ताकि लोगों को ना लगे कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हुई है| वनों की कटाई होने से वन विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है|ऐसे में वन विभाग और माफियाओं की मिलीभगत कहने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है| या फिर यूं कहें कि वन विभाग वन की रक्षा करने में असफल साबित हो रहे हैं| इस संबंध में कुंडहित वन क्षेत्र के रेजर प्रीति कुमारी से संपर्क करने का कोशिश किया गया पर संपर्क नहीं हो पाया|
क्या कहते हैं पूर्व मंत्री:
जामताड़ा जिला में फॉरेस्ट विभाग शून्य है|फॉरेस्ट विभाग ही पेड़ कटवाता है|फॉरेस्ट विभाग की स्वीकृति तथा पुलिस प्रशासन के संरक्षण में कुंडहित प्रखंड में लकड़ी का काला कारोबार होता है|इससे सरकारी राजस्व की क्षति हो रही है| जिले के उपायुक्त व डीएफओ को जांच करना चाहिए कि आखिर यह पेड़ कौन काट रहा है|क्या सरकारी तंत्र निष्फल हो गया है या समाप्त हो गया है|अगर समाप्त हो गया है तो दो ही कारण हो सकता है| या तो यह लोग चुप है या प्रखंड से लेकर जिले के वरीय पदाधिकारी तक की मिलीभगत है|स्थानीय पुलिस के संरक्षण तथा वन विभाग की सहमति से ही यह सब काम हो रहा है नहीं तो फिर इनको दिखाई क्यों नहीं दे रहा है|
सत्यानंद झा उर्फ बाटुल, भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व कृषि मंत्री|
फोटो-1: जंगल में कटे हुए पेड़ के निशान|
फोटो-2: पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल|