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    Home » नंदीग्राम की हार के बाद भी क्‍या CM बनी रहेंगी ममता?
    राजनीति संवाद विशेष

    नंदीग्राम की हार के बाद भी क्‍या CM बनी रहेंगी ममता?

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 3, 2021No Comments2 Mins Read
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    पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है. विधानसभा चुनाव में भले ही तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दी हो लेकिन सूबे की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम से हार का सामना करना पड़ा है. पश्चिम बंगाल की सबसे हॉट सीट मानी जा रही नंदीग्राम के बारे में जैसा अनुमान लगाया जा रहा था, परिणाम भी वैसा ही दिखाई दिया. शुरुआत में ये स्‍पष्‍ट ही नहीं हो सका कि नंदीग्राम से शुवेंदु अधिकारी की जीत हुई है या फिर ममता बनर्जी ने बाजी मारी है. बता दें कि न्‍यूज एजेंसी एएनआई ने पहले ममता बनर्जी ने जीत का दावा किया था, लेकिन रविवार शाम को ममता बनर्जी ने खुद प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में अपनी हार स्‍वीकार कर ली.

    इन सबके बीच तृणमूल कांग्रेस के एक ट्वीट ने नंदीग्राम में जीत-हार को और भी ज्‍यादा भ्रामक बना दिया जब पार्टी की ओर से कहा गया कि अभी मतगणना जारी है. अगर ममता बनर्जी नंदीग्राम से हार चुकी हैं तो ये सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी रहेंगी? हालांकि चुनावी विश्‍लेषकों का कहना है कि वह निश्चित रूप से एक बार फिर पश्चिम बंगाल की बागडोर अपने हाथ में लेंगी. अगर बात करें तो भारत के तीन सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, योगी आदित्यनाथ और उद्धव ठाकरे, सभी अपने-अपने राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य हैं जबकि विधान सभा का हिस्सा नहीं है. सीधे शब्दों में कहें तो वे मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा चुनाव नहीं जीते हैं. इनमें से बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ही एक ऐसे मुख्‍यमंत्री है जिन्‍होंने 36 साल पहले विधानसभा चुनाव लड़ा था.

    बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कभी आम चुनाव नहीं लड़ा है. हालांकि ममता बनर्जी के साथ ऐसा नहीं है क्‍योंकि पश्चिम बंगाल में विधान परिषद नहीं है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इस तरह के ढांचे को बनाने की बात कही है.

    अनुच्छेद 164 कहता है, एक मंत्री जो लगातार छह महीने तक किसी राज्‍य के विधानमंडल का नहीं होता है, वह इस समय सीमा के खत्‍म होने के बाद मंत्री नहीं बन सकता. इसका मतलब है कि ममता बनर्जी के पास सांसद बनने के लिए 6 महीने का समय है. पश्चिम बंगाल में क्‍योंकि विधान परिषद नहीं है ऐसे में ममता बनर्जी को 6 महीने के अंदर किसी खाली सीट से नामांकन दाखिल करना होगा और उप-चुनाव जीतकर सांसद बनना होगा.

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