नई दिल्ली. नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं की केंद्र से पहले दौर की बातचीत खत्म हो गई है. किसानों ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए समिति बनाने की केंद्र की पेशकश ठुकरा दी है. सरकार ने किसानों से मंगलवार दोपहर 3 बजे बातचीत शुरू की थी. करीब दो घंटे चली बैठक में केंद्र ने ही किसानों के सामने नई कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा था.
इसमें सरकार और किसानों प्रतिनिधियों के अलावा एक्सपर्ट्स को रखने की बात कही गई थी. केंद्र ने किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइज (एमएसपी) पर प्रेजेंटेशन भी दिया. बैठक में तोमर के साथ वाणिज्य मंत्री सोम प्रकाश और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे.
सरकार के बुलावे पर किसानों ने कहा था कि वे मीटिंग के लिए इसलिए तैयार हुए हैं, क्योंकि इस बार सरकार ने कोई शर्त नहीं रखी है. इस बीच, हरियाणा के निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रमुख सोमबीर सांगवान ने खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. चरखी दादरी में सांगवान ने कहा- किसानों पर हुए अत्याचारों को देखकर मैं सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं.
पहले भी पंजाब के किसानों को ही न्योता मिला था
सरकार ने सोमवार देर रात किसानों को बातचीत का न्योता भेजा था. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि जो किसान नेता 13 नवंबर की मीटिंग में शामिल थे, उन्हें न्योता दिया गया है. हालांकि, इस पर विवाद हो गया. दरअसल, कृषि विभाग के सचिव की तरफ से जारी हुई न्योते की चिट्?ठी में 32 किसानों के नाम थे. ये सभी पंजाब के किसान नेता थे. ये हरियाणा के अपने साथियों का नाम भी शामिल करने का दबाव बनाने लगे. इसके बाद न्योते में हरियाणा से गुरनाम चढ़ूंनी और मध्यप्रदेश से किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी का नाम शामिल किया गया.
32 साल बाद ऐसा आंदोलन, 36 घंटे में सरकार की तीसरी बैठक
सिंघु बॉर्डर 32 साल बाद सबसे बड़े किसान आंदोलन का गवाह बना है. 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के 5 लाख किसान यहां जुटे थे. किसानों के मुद्दे पर सरकार 36 घंटे में तीन बैठकें कर चुकी है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर मंगलवार को हुई मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे. बैठक में शामिल होने के लिए शाह बीएसएफ के राइजिंग डे इवेंट में नहीं गए.
सरकार ने दो बार शर्त रखी थी
सरकार पहले इस बात पर अड़ी थी कि किसान 3 दिसंबर को बातचीत के लिए आएं. सोमवार को सरकार ने यह जिद छोड़ दी और 1 दिसंबर दोपहर 3 बजे 32 किसान नेताओं को बातचीत का न्योता भेजा. इससे पहले सरकार ने किसानों से कहा था कि वे प्रदर्शन खत्म कर बुराड़ी आ जाएं तो बातचीत पहले भी हो सकती है. किसान इस पर नहीं माने.