कुंडहित(जामताड़ा): विक्रमपुर गांव के नीचा टोला में लगभग 15 सालों से वर्षा के दिनों में चापाकल से स्वचालित रूप से पानी निकलता है।यह सिलसिला लगभग जुलाई से नवंबर तक लगभग 5 महीना तक रहता है। इससे एक तरफ आपको बता दें पानी 24 घंटा बहता रहता है इस तरह से चापाकल का बहता हुआ पानी खेत से बहकर चला जाता है। एक तरफ जहां जल की बर्बादी हो रही है वहीं दूसरी तरफ लोगों को पानी लेने में काफी सुविधा मिल रही है। गौरतलब है कि जल की बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र व सूबे की सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है ताकि जलस्तर ना गिरे ।मालूम हो कि शोधकर्ताओं का कहना है जल स्तर को नहीं बचाया गया तो 2050 साल तक में लोगों को पेयजल के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। इसके लिए सरकार मेढ़बंदी, टीसीवी जैसे कई योजनाएं चला रखिए तो वहीं दूसरी ओर चापाकल से अनवरत पानी बह रहा है इसके लिए विभागीय से मिली जानकारी के मुताबिक जल संरक्षण का कोई ठोस उपाय नहीं है।
पानी लेने में लोगों को हो रही है सुविधा:
चापाकल में हमेशा प्रकृति रूप से निकलने पर लोगों को पेयजल लेने में काफी सुविधा हो रही है। लोग अपने घड़े वह बाल्टी को चापाकल के सामने रख देते हैं। खुद ब खुद चापाकल के पानी से घड़ा व बाल्टी भर जाता है। लोगों को पानी लेने के लिए चापाकल का हैंडल भी दबाना नहीं पड़ता है।
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि:
चापाकल से हमेशा प्रकृति रूप से पानी निकल रहा है। इससे चापाकल का पानी खेत में बह रहा है। विभाग को कोई इसके लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जल संरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए ।स्वचालित रूप से पानी भी निकलना चाहिए क्योंकि इससे आम जनों को सुविधा मिल रही है, लेकिन जल संरक्षण की भी व्यवस्था विभाग को करनी चाहिए।
सुभद्रा बावरी, जिला परिषद सदस्य, कुंडहित
क्या कहते हैं पदाधिकारी:
विक्रमपुर के चापाकल में वर्षा के दिनों में ही सिर्फ स्वचालित रूप से पानी निकलता है। विभाग के पास इसके लिए कोई योजना नहीं है। क्योंकि इसमें सिर्फ वर्षा के दिनों में ही पानी निकलता है ।अगर 12 महीना इसमें पानी निकलता तो इसके लिए विभाग के पास कदम उठाने के उपाय है।
नीलम कुमार, एसडीओ,स्वच्छता विभाग ,जामताड़ा।