निजाम खान
■ उपायुक्त श्रीमती नैन्सी सहाय द्वारा जानकारी दी गयी कि भारतीय झंडा संहिता, 2002 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 में अंतर्विष्ट उपबंधों के कड़ाई से अनुपालन हेतु अवर सचिव, भारत सरकार द्वारा निदेशित किया गया है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल-कूद के अवसरों पर भारतीय झंडा संहिता, 2002 के प्रावधान के अनुरूप जनता द्वारा केवल कागज से बने झंडों का हीं प्रयोग किया जाय एवं समारोह के पूरा होने के पश्चात ऐसे कागज के झंडों को न तो विकृत किया जाय न हीं जमीन पर फेंका जाय। बल्कि ऐसे झंडो का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाय।
ज्ञातव्य है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल-कूद के अवसरों पर लोगों के द्वारा कागज के झंडों के स्थान पर प्लास्टिक के झंडो का प्रयोग किया जा रहा है, जो कि सही नहीं है। प्लास्टिक से बने ये झंडे कागज के झंडों के समान जैविक रूप से अपघट्य (बाॅयोडिग्रेडेबल) नहीं होते हैं, जिस वजह से ये लंबे समय तक नष्ट नहीं होते हैं और प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय झंडों का सम्मानपूर्वक उचित निपटान सुनिश्चित करना भी एक व्यावहारिक समस्या है। एतदर्थ राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में आमजनों के द्वारा सिर्फ कागज से निर्मित झंडों का हीं प्रयोग किया जाय, ताकि भारतीय झंडा संहिता, 2002 का सही तरीके से अनुपालन हो सके।
इसके अलावा उपायुक्त श्रीमती नैन्सी सहाय के द्वारा कहा गया कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश का गौरव है एवं देश के लोगों की आशाओं एवं आकंक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है एवं यह हम सभी के लिए सम्मानीय है। हम सभी में राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव, आदर एवं वफादारी होती है। फिर भी राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, अभ्यास तथा परम्पराओं के संबंध में लोगों को समुचित जानकारी होनी आवश्यक है, ताकि वे इसका कड़ाई से अनुपालन कर सके। साथ हीं उनके द्वारा सभी जिलावासियों से अपील की गयी कि वे उपर्युक्त वर्णित तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भारतीय झंडा संहिता, 2002 के प्रावधान के अनुरूप राष्ट्रीय पर्व/त्यौहार एवं विभिन्न राष्ट्रीय महत्व के सांस्कृतिक कार्यक्रमों/खेल-कूद के अवसरों पर सिर्फ कागज से बने झंडों का हीं प्रयोग करंे और दूसरांे को भी इस बारे में जानकारी दें।