मुंबई: यूरोपीय यूनियन (ईयू) की संसद ने बुधवार को ब्रेक्जिट समझौते को मंजूरी दे दी है. अब 31 जनवरी को ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाएगा. चार साल तक चली जद्दोजहद के बाद बुधवार को यूरोपीय यूनियन की संसद ने 49 के मुकाबले 621 मतों के बहुमत से ब्रेक्जिट समझौते पर मुहर लगा दी.इस समझौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले साल के अंत में ईयू के 27 अन्य नेताओं के साथ वार्ता के बाद अंतिम रूप दिया था. अब सवाल उठता हैं कि इससे भारत पर क्या असर होगा?इस पर एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि ब्रिटेन में 800 से ज्यादा भारतीय कंपनियां हैं, जो 1,10,000 लोगों को रोजगार देती हैं. इनमें से आधे से अधिक लोग केवल टाटा समूह की ही पांच कंपनियों में काम करते हैं.एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन की करेंसी पाउंड में गिरावट की आशंका है. ऐसे में जो भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन से अपने कारोबार कर रही हैं. उनके मुनाफे पर इसका असर होगा.
आपको बता दें कि ब्रिटेन ने जून-2016 में हुए जनमत संग्रह में ब्रेक्जिट को मंजूरी दी थी. हालांकि, ब्रिटेन अभी इस साल के आखिर तक ईयू की आर्थिक व्यवस्था में बना रहेगा, लेकिन उसका नीतिगत मामलों कोई दखल नहीं होगा और न ही वह ईयू का सदस्य रह जाएगा.
ब्रेक्जिट का क्या होगा असर-
(1) यूरोपीय यूनियन की जीडीपी में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 18 फीसदी है. भारत के विकास के लिए यूरोप और ब्रिटेन दोनों ही अहम हैं. यूरोप और ब्रिटेन को निर्यात से भारत को काफी विदेशी मुद्रा मिलती है.
(2) यूके के अंतरराष्ट्रीय कारोबार विभाग (डीआईटी) के अनुसार, साल 2017 में भारत और यूके के बीच कुल 18 अरब पाउंड का कारोबार हुआ, जो साल 2016 से 15 फीसदी अधिक है. भारतीय कंपनियों में आए बड़े बदलावों ने वैश्विक स्तर पर कारोबार की परिभाषा बदल दी है.(3) भारत यूके में निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है.
इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापर करने वाले देशों की गिनती में ब्रिटेन 12वें नबर पर आता है. ब्रिटेन उन 25 देशों में 7वें नंबर पर आता है जिनसे भारत सामान लेता कम है और वहां भेजता ज्यादा है.