- खड़गे और वेणुगोपाल के दौरे के बाद भी एक्शन नहीं होना चिंताजनक
देवानंद सिंह
जमशेदपुर एमजीएम अस्पताल में छज्जा गिरने से मरीजों की मौत की घटना ने जहां राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया, उससे ये उम्मीद थी कि इस घटना पर बड़बोले स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के खिलाफ एक्शन हो सकता है, लेकिन मजे की बात है, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। न तो हेमंत सरकार ने कोई एक्शन लिया और न ही कांग्रेस हाईकमान ने, जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी राष्ट्रीय सचिव के.सी. वेणुगोपाल मंगलवार को राज्य के दौरे पर आए हुए थे, इसीलिए यह सवाल हर जुबान पर है कि आखिर अपने बड़बोले मंत्री पर कांग्रेस हाईकमान क्यों चुप है ?
दरअसल, यह कोई हादसा नहीं था, बल्कि विभाग की लापरवाही थी। वर्षों से जर्जर घोषित लावारिस वार्ड की अनदेखी प्रशासन की संवेदनहीनता को बेनकाब करती है।
मजे की बात यह कि अपनी जिम्मेदारी समझने के बजाय स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी कभी विपक्ष को धमकाते हैं, कभी पत्रकारों को, लेकिन अपने मंत्रालय की दुर्दशा पर चुप्पी साध लेते हैं। क्या यही जवाबदेही है? राज्य में अस्पतालों की बदहाली, इस बात का सबूत हैं कि विभाग में शासन नाम की चीज़ सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है।
वास्तविकता यही है कि अंसारी के नेतृत्व वाला झारखंड का स्वास्थ्य विभाग आज चरम विफलता की ओर बढ़ चला है। सरकारी अस्पतालों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि आमजन मजबूरी में निजी नर्सिंग होम की शरण ले रहे हैं, जो कुकुरमुत्तों की तरह हर गली-मोहल्ले में उग आए हैं। इन निजी संस्थानों में हो रहे नैतिक-अनैतिक कार्यों की जांच की मांग लंबे समय से उठ रही है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत ने इसे अंजाम तक नहीं पहुंचने दिया। अगर, सही तरीके से जांच की जाए तो कई सिविल सर्जनों के जेल जाने की नौबत आ सकती है।
मल्लिकार्जुन खड़गे और के.सी. वेणुगोपाल के दौरे के बाद भी अंसारी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाना कांग्रेस के “नारी सम्मान” के दावे पर गंभीर सवाल खड़े करती है। आज जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस अपने घोषणापत्र और वास्तविक आचरण के बीच की खाई को पाटे। यदि पार्टी महिलाओं के सम्मान और प्रशासनिक जवाबदेही के अपने दावों को गंभीरता से लेती है, तो उसे बिना देर किए अंसारी को मंत्री पद से हटाकर स्पष्ट संदेश देना चाहिए। अन्यथा जनता यह मानने को मजबूर होगी कि नैतिकता एक बार फिर सियासी समीकरणों के आगे बलि चढ़ चुकी है और कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है