वीर कुंवर सिंह की जयंती पर अश्लीलता का तमाशा: गम्हरिया में बाई जी के नाच के जरिए शहीदों और महापुरुषों का अपमान
राष्ट्रीय संवाद संवाददाता
सरायकेला (झारखंड)
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष सैलानियों के वियोग में पूरा देश शोकमग्न है। हर ओर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थनाएं हो रही हैं, कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं और लोगों की आंखें नम हैं। ऐसे संवेदनशील माहौल में झारखंड के सरायकेला जिले के गम्हरिया में समाज के कुछ तथाकथित ठेकेदारों ने ऐसा शर्मनाक कृत्य किया, जिससे केवल इंसानियत ही नहीं, बल्कि राज्य और देश की गरिमा भी तार-तार हो गई।
बुधवार को महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह की जयंती थी। देशभर में उन्हें श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया गया। लेकिन गम्हरिया में इस ऐतिहासिक अवसर को अश्लीलता और बेहूदगी से भरे एक कार्यक्रम में तब्दील कर दिया गया। “चैता” के नाम पर आयोजित कार्यक्रम में बाई जी का नाच और नौटंकी करवाई गई, जिसमें अश्लीलता की सारी सीमाएं पार कर दी गईं। देर रात तक चले इस फूहड़ आयोजन में न केवल पैसे लुटाए गए, बल्कि वीर कुंवर सिंह जैसे महापुरुष और पहलगाम के शहीदों का घोर अपमान भी हुआ।
इस आयोजन के आयोजक तो दोषी हैं ही, लेकिन उन सभी लोगों को भी जवाबदेह ठहराना चाहिए जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए और फूहड़ता को बढ़ावा दिया। यह वही समाज है जो किसी मुसलमान युवक द्वारा सोशल मीडिया पर आतंकी संगठन की प्रशंसा करने पर तुरंत हाय-तौबा मचाता है और पुलिस उसे जेल भेज देती है। लेकिन जब खुद समाज के ठेकेदार ऐसी घिनौनी हरकतें करते हैं, तो उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती।
गौरतलब है कि तीन दिन पहले ही जमशेदपुर में क्षत्रिय समाज के एक वरिष्ठ नेता की हत्या कर दी गई थी। उनकी चिता की राख भी ठंडी नहीं हुई थी कि उनके सम्मान के बजाय इस तरह का नाच-नौटंकी का आयोजन कर समाज को कलंकित कर दिया गया।
इस घटना की हर ओर निंदा हो रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे आयोजनों के आयोजकों और सहभागी दोषियों के लिए कोई सजा मुकर्रर नहीं होनी चाहिए? क्या कानून केवल आम नागरिकों पर ही लागू होता है, और समाज के ठेकेदार उससे ऊपर हैं?