चारा चोरी से लेकर तेल पिलावन -लाठी घुमावन रैली की चर्चा, दस मार्च को बताया गया है काला दिन
अनिल मिश्र/पटना
अपनी इतिहास एवं सांस्कृतिक विरासत को संभालकर रखने वाले और राजनीतिक रुप से कई संभावनाओं को विकसित करने के साथ-साथ बौद्धिक रुप से परिपक्व भगवान बुद्ध की तपोस्थली रहे बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. सियासी दलों की जुबानी जंग के बीच राजधानी पटना में पक्ष और विपक्ष द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में सफलता प्राप्त कर सता के सिंहासन पर विराजमान होने को लेकर कोई भी राजनीतिक पार्टियां कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.इसी को लेकर पिछले वर्ष से ही पोस्टर युद्ध जारी है.इसी पोस्टर युद्ध में कल यानी दस मार्च को बिहार के राजधानी पटना में चौक-चौराहों पर लगे राजद सुप्रीमो लालू यादव के पोस्टरों पर घमासान छिड़ गया है.
दरअसल इस पोस्टर में 10 मार्च 1990 को काला दिन बताते हुए लालू यादव पर हमला बोला गया है. इसी दिन पहली बार लालू बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. पटना में पोस्टर लगाने वाले कौन है, इसका पता नहीं चल सका है. पोस्टरों में लालू को ढोल बजाते, दातून चबाते दिखाया गया है. और लिखा है कि आज ही लालू ने बिहार का ढोल बजाने और चारा खाने की की शपथ ली थी. हर पोस्टर में लिखा गया कि बिहार भूलेगा नहीं. सभी पोस्टरों का बैकग्राउंड काला है. हर पोस्टर में अलग-अलग स्लोगन लिखा हुआ है.पोस्टर में इस दिन को काला दिन बताया गया है, साथ ही लिखा गया है कि तेल पिलावन लाठी घुमावन राज की शुरुआत हुई थी.
इसके अलावा पोस्टर में कई तरह के स्लोगन लिखकर लालू प्रसाद पर निशाना साधा गया है. पोस्टर में ‘जब लालू ने गाय का चारा चर लेने की ली थी शपथ, बिहार की जनता का ढोल बजाने को लिया था शपथ, भूलेगा नहीं बिहार’ ये सारी बातें लिखकर लालू यादव को आड़े हाथों लिया गया है. इस पोस्टर में लिखा है- ‘भूलेगा नहीं बिहार… मार्च का वो काला दिन जब बिहार की जनता का ढोल बजाने को लिया था शपथ..’ वहीं दूसरे पोस्टर में 10 मार्च के दिन को चारा घोटाला मामले से जोड़कर तंज कसा गया है. होली के दौरान की ही एक पुरानी तस्वीर दूसरे पोस्टर में है.गौरतलब हो कि 10 मार्च 1990 को लालू पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी.
इसके पांच साल बाद फिर से 1995 में विधानसभा चुनाव जीते और उनकी सत्ता में वापसी हुई. वर्ष 1997 में वे जनता दल से अलग हो गए और राष्ट्रीय जनता दल नाम से खुद की पार्टी बनाई थी. लेकिन इसी बीच उन पर चारा घोटाला का आरोप लगा और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.तब उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को लालू प्रसाद यादव ने अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाया था .इसके बाद लालू फिर कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सके.
इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा, जिसने भी ये पोस्टर लगाया है, वो बधाई के पात्र हैं. पोस्टर के जरिए बिहार के युवाओं को जगाने का काम किया है.लालू यादव के काले इतिहास और काले चेहरे को दिखाने का काम किया है.ऐसे लोगों के इतिहास को जनता और नई पीढ़ी को जरूर बताना चाहिए. वहीं जदयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा पोस्टर बिल्कुल सही लगाया गया है. आने वाले चुनाव में लोग इससे सतर्क होंगे.
वहीं पिछले वर्ष राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड की गठबंधन की सरकार गिरने के बाद और भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की सरकार बनने के बाद 10 अक्टूबर 2024 राजधानी पटना के इनकम टैक्स चौराहे पर लगे एक पोस्टर में तेजस्वी यादव के हाथ में टोंटी दरसाया गया था. और नीचे कैप्शन में लिखा था, टोंटी चोर…फेलस्वी यादव. इसी इनकम टैक्स पर दूसरा पोस्टर लगा है. इस पोस्टर में लालू यादव की तस्वीर के नीचे कैप्सन ‘चारा चोर’ लिखा है.
वाक्या यह है कि महागठबंधन की सरकार गिरने के बाद भी उन्होंने बंगला खाली नहीं किया था. भवन निर्माण विभाग के नोटिस जारी करने के बाद तेजस्वी ने जब बंगला खाली किया. तो कई सामान गायब होने की बात सामने आई थी. इस वर्ष के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव में आखिर किस पार्टी को जीत का सेहरा मिलता है.यह चुनाव निर्विघ्न सम्पन्न होने और मतों के गिनती होने के बाद पता चलेगा. लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इस पोस्टर युद्ध में किस पार्टी का ज्यादा नफा-नुकसान होता है.(साभार )