सूर्य मंदिर समिति के पतंग महोत्सव में युवाओं का दिखा उत्साह,रंग-बिरंगी पतंगों से सजा आसमान
*पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी उड़ाया पतंग, कहा- पतंग महोत्सव युवा पीढ़ी को गौरवशाली संस्कृति से जोड़ने का अवसर*
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर। सूर्य मंदिर समिति द्वारा मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पहली बार भव्य पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया। बुधवार को आयोजित इस महोत्सव में सिदगोड़ा और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में युवक और युवतियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पतंग महोत्सव में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक रघुवर दास सपरिवार एवं संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह मुख्यरूप से शामिल हुए। वहीं, जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू विशेष रूप से मौजूद रहीं। महोत्सव में पत्रकार जगत से जुड़े कई प्रमुख लोग भी शामिल रहे। युवाओं ने महोत्सव के दौरान रंग-बिरंगी पतंगों ने आसमान को सजा दिया। प्रतिभागी अपने-अपने पतंगों को ऊंचाई तक ले जाने और दूसरों से प्रतिस्पर्धा करने में जुटे रहे। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्वयं पतंग उड़ाया और युवाओं को प्रोत्साहित किया। इससे पहले, मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान भास्कर की विधिवत पूजा-अर्चना की गयी। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास उनकी धर्मपत्नी रुक्मिणी देवी, पुत्र ललित दास एवं पुत्रवधू पूर्णिमा साहू ने भाग लिया और भगवान भास्कर की आराधना कर यज्ञ हवन किया। इस दौरान समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह समेत सभी पदाधिकारीगण मौजूद रहे।
महोत्सव के पश्चात सोन मंडप परिसर में पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं के बीच भोग प्रसाद के रूप में खिचड़ी, चोखा, चटनी और आचार का श्रद्धापूर्वक वितरण किया गया। प्रसाद वितरण की व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए पुरुष और महिलाओं के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए गए थे। इसके अलावा, पेयजल के लिए अलग काउंटर की व्यवस्था की गई थी। प्रसाद वितरण में सामाजिक समरसता की झलक देखने को मिली।
*इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, नई शुरुआत और आशा का संदेश देती है। मकर संक्रांति के महत्व को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने पर्व-त्योहारों को इस प्रकार रचा कि वे न केवल हर्षोल्लास का माध्यम बनें, बल्कि समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को भी सहारा प्रदान करें। दीपावली में कुम्हारों के जीवन में बदलाव आता है, रक्षाबंधन में राखी बनाने वालों को रोजगार मिलता है, और मकर संक्रांति पर पतंग बनाने और बेचने वाले परिवारों के जीवन में खुशी आती है। कहा कि पतंग उड़ाने की परंपरा, जो हजारों वर्षों से चली आ रही है, केवल आनंद का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और जीवन के ऊंचे आदर्शों का प्रतीक है। रंग-बिरंगी पतंगें, जो आसमान को छूती हैं, हमारी उम्मीदों और सपनों को ऊंचाई भरने और सामाजिक समरसता का भी संदेश देती हैं। कहा कि सूर्य मंदिर समिति द्वारा पतंग महोत्सव मनाने का निर्णय न केवल इस परंपरा को जीवित रखने का प्रयास है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को हमारी गौरवशाली परंपराओं से जोड़ने का एक माध्यम भी है।*
इस अवसर पर पत्रकार जगत से संजय मिश्रा, संजीव भारद्वाज उदित अग्रवाल, जय प्रकाश राय, ब्रजभूषण सिंह, देवानंद सिंह , संतोष कुमार, मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, अखिलेश चौधरी, अमरजीत सिंह राजा, बंटी अग्रवाल, शशिकांत सिंह, कंचन दत्ता, रूबी झा, प्रमोद मिश्रा, गुंजन यादव, दिनेश कुमार, रामबाबु तिवारी, मिथिलेश सिंह यादव, राकेश सिंह, कुलवंत सिंह बंटी, सुशांत पांडा, अनिल ठाकुर, बिपिन सिंह, पवन अग्रवाल, टुनटुन सिंह,
अमित अग्रवाल, बोलटू सरकार, तेजिन्दर सिंह जोनी, सुरेश शर्मा, युवराज सिंह, जीवन साहू, विकास शर्मा, सूरज सिंह, अमरेंद्र पासवान, प्रोबिर चटर्जी राणा, मंजीत सिंह, कुमार अभिषेक, नारायण पोद्दार, अभिमन्यु सिंह, कौस्तव राय, छक्कन चौधरी, रंजीत सिंह, साकेत कुमार एवं अन्य मौजूद रहे।