न्यायालय का उत्तराखंड सरकार को ट्रांसजेंडरों के कानून के अनुरूप नियमों में बदलाव का निर्देश
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में स्कूल शिक्षा बोर्ड के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें ट्रांसजेंडर लोगों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम और लैंगिक पहचान परिवर्तन से इनकार किया गया था।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मौजूदा नियमों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुरूप संशोधन करने का भी निर्देश दिया।
हल्द्वानी के एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ने अदालत में याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उसकी पहचान एक लड़की के रूप में थी। वर्ष 2020 में उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में सर्जरी कराई और वैधानिक रूप से अपना नाम तथा लैंगिक पहचान बदल लिया ।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि नैनीताल जिला मजिस्ट्रेट द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक की धारा सात के तहत उन्हें पहचान पत्र जारी किए जाने के बावजूद शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उनका नाम और लैंगिक पहचान को अद्यतन करने की उनकी प्रार्थना उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड ने नामंजूर कर दी ।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने कहा कि बोर्ड के नियम वैधानिक अधिकारों के अनुरूप होने चाहिए।