कल्पना सोरेन ने कम वक्त में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में बनाई पहचान
देवानंद सिंह
लोकसभा चुनाव 2024 शनिवार को समाप्त हो चुका है। यह अंतिम चरण का मतदान था। चुनाव संपन्न होने के साथ ही दोनों पक्ष जीत को लेकर उत्साहित दिख रहे हैं, खासकर, जिस तरह झारखंड में इंडिया गठबंधन के नेताओं का कॉन्फिडेंस लेवल हाई लेवल पर है, उससे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, हालांकि अब इन कयासों को विराम लगने में ज्यादा वक्त नहीं बचा है। इन सबके बीच भले ही चुनाव परिणाम कुछ भी हों, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने जिस तरह राजनीति में एंट्री ली और अपने नेतृत्व क्षमता को दिखाया है, उसने झारखंड के सियासी मैदान को काफी दिलचस्प बना दिया है, इस चुनाव परिणाम में तो उसका असर दिखेगा ही, बल्कि प्रदेश की भविष्य की राजनीति भी काफी प्रभावित होगी।
दिगर बात है कि कल्पना सोरेन पूरे चुनाव के दौरान स्टार प्रचारक के रुप में काफ़ी सक्रिय रहीं। गांडेय विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी होने के बावजूद कल्पना सोरेन ने अपनी पार्टी और गठबंधन के सहयोगियों के लिए जगह-जगह जाकर चुनाव प्रचार किया। उन्होंने जिस तरह, ‘झारखंड झुकेगा नहीं, इंडिया रुकेगा नहीं’ नारे के साथ जनता के बीच अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई, उसने एनडीए को राज्य में कड़ी चुनौती देने का रास्ता प्रशस्त किया। उन्होंने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को भाजपा का षड्यंत्र बताकर वोट मांगा। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से यह भी दावा किया है कि 4 जून को बदलेगी देश की तकदीर और इंडिया की तस्वीर। कल्पना की लोकप्रियता 22 मई को गोड्डा में दिखी थी। झारखंड में तीसरे चरण के चुनाव से ठीक पहले 22 मई को गोड्डा में कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी की रैली थी। भाषण का दौर चल रहा था। इसी दौरान जब कल्पना सोरेन मंच पर पहुंची तो उनके स्वागत में बजी तालियों की गूंज सुनकर प्रियंका गांधी को अपना भाषण रोकना पड़ा। उन्होंने कल्पना सोरेन को गले से लगाकर छोटी बहन कहकर स्वागत किया।
राजनीति में उनकी सक्रियता से आम लोगों में इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि क्या झारखंड में भी सत्ता की तस्वीर बदलने वाली है। अगर, कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव जीतती हैं तो क्या वह सिर्फ विधायक की भूमिका में रहेंगी या फिर कुछ और। क्योंकि भाजपा के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी कह चुके हैं कि हेमंत सोरेन जेल में, चंपाई सत्ता में और कल्पना सोरेन सत्ता के रास्ते में हैं। ऐसे में भी झगड़ा होना तय है। इसका मतलब यह भी है कि भाजपा मान चुकी है कि कल्पना सोरेन गांडेय उपचुनाव जीत रही हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि इसके बाद क्या होगा?
जानकारों का मानना है कि सत्ता में चेहरा बदले या न बदले, लेकिन कल्पना सोरेन ने साबित कर दिया है कि उनमें नेतृत्व करने की क्षमता है, ऐसे हालात में झामुमो सत्ता परिवर्तन का रास्ता अपनाएगी। हेमंत सोरेन अगर 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी जेल में ही रह गये तो संभव है कि कल्पना सोरेन के नाम पर झामुमो मैदान में उतर जाए। पहले सिर्फ हेमंत सोरेन एक चेहरा हुआ करते थे। अब कल्पना सोरेन भी इस लिस्ट में आ गई हैं।
टिकट बंटवारे में भी कल्पना सोरेन की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। वह मुंबई और दिल्ली में आयोजित इंडिया गठबंधन की रैली में शामिल हुई। बाद में, रांची में इंडिया गठबंधन की रैली आयोजित कर संगठन पर अपनी पकड़ को भी प्रदर्शित करने में सफल रहीं।
चुनाव के दौरान अपने कॉन्फिडेंस की बदौलत उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को बता दिया कि वह हर चुनौती का सामना करने की क्षमता रखती हैं। कल्पना की राह में सीता सोरेन एक रोड़ा बन सकती थीं, लेकिन उनके भाजपा में जाने से कल्पना की यह परेशानी भी खत्म हो गई है।