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    फ्लोर टेस्ट साबित करना चंपई सोरेन के लिए सबसे बड़ी चुनौती

    Devanand SinghBy Devanand SinghFebruary 3, 2024Updated:February 3, 2024No Comments5 Mins Read
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    फ्लोर टेस्ट साबित करना चंपई सोरेन के लिए——-
    देवानंद सिंह
    झारखंड की सियासत में कई दिनों से चल रहे क्लाइमेक्स से भले ही पर्दा हट गया हो, लेकिन चुनौती कहीं से भी कम नहीं हुई है, उसमें फ्लोर टेस्ट सबसे बड़ी चुनौती है। दरअसल, हेमंत सोरेन के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के बाद जिस तरह चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया, उसके बाद से ही झारखंड के सियासी गलियारों में यह चर्चा तेजी से चल रही है, क्योंकि विधायकों को एकजुट करना आसान नहीं है। शपथ ग्रहण के साथ ही सीएम चंपई की पहली चुनौती भले ही दूर हो गयी हो,  लेकिन यह चुनौतियों का अंत नहीं होकर महज शुरुआत थी, विधान सभा के प्लोर पर बहुमत साबित करने की चुनौती इसीलिए बड़ी है, क्योंकि 45 विधायकों का साथ रहते यह चुनौती जितनी आसान दिख रही है, दरअसल यह चुनौती उतनी आसान भी नहीं है और यदि चुनौती इतनी आसान होती तो अपने 39 विधायकों को हैदराबाद भेजने की नौबत नहीं आती, लिहाजा यह बात साफ है कि शपथ ग्रहण के बाद भी उनके अंदर एक खौफ पसरा है,
    एक आशंका बनी हुई है, इस बात का डर सता भी रहा है कि कहीं झारखंड की जमीन पर पैर रखते ही इन विधायकों के पैर डगमगाने न लगे। उनका मन नहीं डोलने लगे, क्योंकि हर किसी की चाहत इस नई सरकार में अपने चेहरे को देखने की है, दूसरी ओर सीएम हेमंत के नेतृत्व में काम कर चुके पुराने चेहरे आज भी अपना रसूख बनाये रखने का जोर लगा रहे हैं, इसमें तो कई ऐसे भी चेहरे भी हैं, जिन्हें बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों और उनकी प्रतिबद्धता पर लगातार उठते सवालों के बीच हासिये पर डाले जाने की संभावना प्रबल होती दिख रही है। इस परिस्थिति में सवाल खड़ा होता है कि वैसे कौन कौन से चेहरे हैं, जिनकी इंट्री की संभावना बनती दिख रही है, तो इसमें सबसे पहला नाम बसंत सोरेन और सीता सोरेन का है। अंदरखाने से जो खबर आ रही है, उसके अनुसार सोरेन परिवार में इस बात की रणनीति बन रही है कि
    परिवार के किसी चेहरे को सरकार में शामिल करवा कर सरकार बैलेंस में रखा जाए ताकि इस परिवार का अंकुश सरकार के एकबारगी गायब नहीं हो, इस हालत में जो सबसे पहला नाम आ रहा है वह है पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के छोटे भाई बंसत सोरेन का, दावा किया जाता है कि उनकी इंट्री उपमुख्यमंत्री के रुप में हो सकती है, इसके साथ ही उनके हाथ में कार्मिक और दूसरे अहम विभागों की जिम्मेवारियां सौंपी जा सकती है, दूसरा नाम पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी और जामा विधायक सीता सोरेन का है, लेकिन बसंत सोरेन के पक्ष में चलती तमाम खबरों के बीच यहां याद रखने की जरुरत है कि बसंत सोरेन का नाम अवैध खनन के मामले में उछलता रहा है, इस हालत में बसंत सोरेन को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के नवाजना एक मुश्किल फैसला हो सकता है, क्योंकि बसंत के साथ ही भाजपा के हाथ में एक सियासी मुद्दा मिल सकता है।
    जहां तक नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का मामला है, उन्‍होंने मजदूर आंदोलन से राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था और उन्होंने शिबू सोरेन के साथ लंबे समय तक काम किया है। झामुमो में शिबू सोरेन के बाद सबसे ज्यादा आदर इन्हीं को मिलता है। राजनीति में चंपई शिबू सोरेन को ही अपना आदर्श मानते हैं। चंपई ने राजनीति के क्षेत्र में मजदूर आंदोलन से ही कदम रखा था। इस आंदोलन के बाद यह धारणा बन गई थी कि चंपई जहां भी आंदोलन का नेतृत्व करेंगे, वहां जीत मिलेगी।
    सरायकेला-खरसावां जिला स्थित जिलिंगगोड़ा गांव के रहने वाले चंपई सोरेन को कोल्हान टाइगर के नाम से लोकप्रिय हैं। इन्हें टाइगर की उपाधि 2016 में तब मिली थी, जब इन्होंने 1990 में टाटा स्टील के अस्थायी श्रमिकों के लिए अनिश्चितकालीन गेट जाम आंदोलन किया था और लगभग 1700 ठेका मजदूरों की कंपनी में स्थायी प्रतिनियुक्ति कराई थी। जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही थी उस दौरान चंपई का नाम खूब चर्चा में रहा। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से बुलाने लगे।
    11 नवंबर, 1956 को जन्मे चंपई ने दसवीं तक की पढ़ाई बिष्टुपुर स्थित रामकृष्ण मिशन उच्च विद्यालय से की थी। चंपई सोरेन का चुनावी सफर 1991 से शुरू हुआ, जब उन्होंने पहला चुनाव सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से 1991 में निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरे थे और जीते भी थे। इसके बाद 1995 में झामुमो का टिकट मिला, वहां भी उन्हें जीत मिली, हालांकि 2000 में भाजपा के अनंतराम टुडू से वह हार गए थे। इसके बाद चंपाई 2005 से लगातार 2009, 2014 व 2019 में विजयी रहे हैं।
    चंपाई सोरेन 2009 से 2014 की राज्य सरकार में पहली बार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, श्रम व आवास विभाग के मंत्री बने, फिर उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया गया। 2014 और 2019 में भी चंपाई परिवहन मंत्री बनाए गए। चंपई सोरेन झारखंड विधानसभा के सदस्य हैं। वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं।
    कैबिनेट मंत्री के रूप वह हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अब देखने वाली बात यह होगी कि वह विधानसभा में अपना फ्लोर टेस्ट साबित कर पाते हैं या नहीं।
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