डॉली परिहार के फेसबुक पेज से लिया गया दिल को छूने वाली पोस्ट
आप नये लेखकों को पढ़ते होंगे, पुराने को भी। गुमनाम को भी, प्रतिष्ठित को भी। युवा को भी, वरिष्ठ को भी। फ्लॉप को भी, बेस्टसेलर को भी। सस्ते को भी, मँहगे को भी। वामी को भी, दामी को भी।
लेकिन क्या आप यह जान पाते हैं, कि लेखक आख़िर लेखक कैसे बना? क्या लेखक बनना उसका सपना था? मजबूरी थी? ज़रूरत थी? शौक़ था? प्रेरणा थी? या यूँ ही देखादेखी? तो यदि आप किसी लेखक की, लेखन यात्रा को जानते हों, तब आप स्वयम् को उस लेखक से अधिक जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। या उसके लेखन को और अधिक समझ पायेंगे।
लेखन की ऐसी ही यात्राओं का संकलन है #आरोहण। जिसमें जमशेदपुर की २८ लेखिकाओं के लेखन का “दास्तान-ए-सफ़र” दर्ज़ है। और इसका श्रेय जाता है डॉ. कल्याणी कबीर मैम और डॉ. अनिता शर्मा मैम को। इस पुस्तक में शहर की प्रख्यात लेखिकाओं के बीच मुझ कनिष्ठ को भी स्थान मिला है।
जो लोग लेखक बनना चाहते हैं, या यह सोचते हैं (मैं सोचती थी) कि कोई लेखक कैसे बनता है? तो इन जिज्ञासाओं को शान्त करने का एक निदर्शन है यह “आरोहण।”
२८ अक्टूबर २०२३ को शाम ५ बजे इसका विमोचन होना तय हुआ है। आप सभी के आशीर्वाद की अपेक्षा है। 🙏